13 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने 21 किमी पदयात्रा कर किया उभयेश्वर महादेव का जलाभिषेक, पूरे मार्ग में पुष्पवर्षा, भव्य स्वागत द्वार, भंडारा और भक्ति का महासंगम
24 News Update उदयपुर। शिव भक्ति की पराकाष्ठा, श्रद्धा की पराक्रमी धारा और सामाजिक समरसता की अनुपम मिसाल बनी 20वीं कांवड़ यात्रा ने मंगलवार को झीलों की नगरी उदयपुर से लेकर उभयेश्वर महादेव मंदिर तक भक्ति का अद्भुत दृश्य रच दिया। महादेव की जयघोषों, भजनों, ढोल-नगाड़ों और हर-हर महादेव के नारों के बीच 13 हजार से अधिक श्रद्धालु भक्तों ने सात पवित्र नदियों के जल से भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर जनकल्याण, पर्यावरण शुद्धि और अच्छी वर्षा की कामना की।
2006 में 51 कार्यकर्ताओं से शुरू हुई यात्रा ने लिया विराट स्वरूप
शिव महोत्सव समिति के संयोजक एडवोकेट रामकृपा शर्मा ने बताया कि 2006 में मेवाड़ के गंगोद्भव कुंड से आरंभ हुई यह कांवड़ यात्रा अब सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना की पहचान बन चुकी है। इस वर्ष यात्रा में 11 हजार कांवड़ तैयार की गई थीं, लेकिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के आगे वह भी कम पड़ गईं। देर से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को प्लास्टिक थैली में पवित्र जल प्रदान कर मंदिर में लोटे की व्यवस्था की गई, जिससे कोई भी भक्त अभिषेक से वंचित न रह सके।
महिलाओं की रही विशेष भागीदारी, सफेद वस्त्रों में पुरुष, परंपरागत परिधान में महिलाएं
कांवड़ यात्रा की सबसे खास बात रही महिलाओं की प्रभावशाली भागीदारी। पारंपरिक वेशभूषा में महिलाएं पूरे उत्साह और श्रद्धा से कांवड़ लेकर चलीं, वहीं पुरुष भक्तों ने सफेद वस्त्रों में भक्ति गीत गाते हुए शिव नाम की महिमा का गुणगान किया।
पवित्र जल से रचा गया महाअभिषेक, 21 विद्वानों ने किया महारूद्राभिषेक
उभयेश्वर महादेव मंदिर परिसर में पंडित ओमप्रकाश शर्मा के सान्निध्य में 21 विद्वान आचार्यों द्वारा वैदिक विधि से महारुद्राभिषेक संपन्न किया गया। भाग लेने वाले जजमानों में समाजसेवी वरदीचंद चौधरी, डॉ. ओम साहू, नरेन्द्र पालीवाल सहित अनेक श्रद्धालु शामिल रहे।
भक्ति की गूंज से गुंजा मेवाड़, पुष्पवर्षा और स्वागत द्वारों से हुआ भव्य स्वागत
शहर की सड़कों से लेकर पहाड़ियों तक महादेव के जयकारों की गूंज रही। यात्रा के पूरे मार्ग – आयड़, अशोक नगर, देहलीगेट, घंटाघर, ब्रह्मपोल, मोरवानिया आदि स्थलों पर सामाजिक संगठनों, व्यापार मंडलों, समाजसेवियों और आमजन ने पुष्पवर्षा की और जलपान, नींबू पानी, फल, दूध, शरबत, कुल्फी आदि की सेवा की।
सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम, पुलिस रही हर कदम साथ
प्रशासन की ओर से किसी भी अनहोनी से बचने के लिए यात्रा मार्ग पर व्यापक पुलिस जाब्ता तैनात किया गया। महिला पुलिसकर्मी, मोटर बाइक दस्ते और पैदल पुलिसकर्मी लगातार यात्रा के साथ चल रहे थे। सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को लेकर प्रशासनिक मुस्तैदी सराहनीय रही।
माता की झांकियां, भजन संध्या और 25 हजार श्रद्धालुओं के लिए भंडारा
उभयेश्वर मंदिर परिसर में शाम को भव्य भजन संध्या आयोजित की गई जिसमें माताजी की झांकियां और शिव भक्ति के गीतों की प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम के अंत में सात दिवसीय आयोजन में योगदान देने वाले कार्यकर्ताओं का सम्मान भी किया गया।
साथ ही कांवड़ियों और श्रद्धालुओं के लिए विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें 25 हजार से अधिक लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
ऐसे हुई यात्रा की शुरुआत: नेताओं और संतों ने किया शुभारंभ
तांबे के कलश में सात नदियों के पवित्र जल के साथ यात्रा का शुभारंभ महंत इन्द्रदेवदास, डॉ. आनंद पालीवाल, जिलाध्यक्ष गजपाल सिंह राठौड़, ममता कुंवर, फतेहसिंह राठौड़, प्रेमसिंह शक्तावत, रविंद्र श्रीमाली, चंद्रभान सिंह आदि ने वैदिक विधि से पूजा-अर्चना कर किया।
भक्ति का प्रथम स्वर: गोरेला के नरेश गमेती बने पहले कांवड़िये
प्रातः 10:45 बजे गोरेला निवासी नरेश गमेती उभयेश्वर महादेव मंदिर पहुंचने वाले पहले कांवड़िये बने, जिन्होंने पवित्र जल से महादेव का अभिषेक किया। इसके बाद शाम 4 बजे तक कांवड़ियों के आने का क्रम लगातार जारी रहा। यात्रा मार्ग पर स्वागत और सेवा कार्यों में बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद, श्रीराम बजरंग सेना, पीकोक इंडस्ट्रीज, सिंधी समाज, वाल्मीकि समाज, कुमावत समाज, व्यापारी संघों, विभिन्न केटरर्स, हिंदू मित्र संगठन, विप्र फाउंडेशन, साहू समाज, मोची समाज, जाड़ा गणेश व्यापार संघ, डाकोत समाज, अनेक सामाजिक संस्थाओं और गांववासियों ने सेवा में भाग लिया। पूरी यात्रा में उभयेश्वर सत्संग मंडल और शिव महोत्सव समिति के अध्यक्ष मान सिंह हाड़ा, रामकृपा शर्मा, नरेश वैष्णव, सुरेश रावत, ललित कुमावत, भूपेश रावल, अक्षय दत्त व्यास, संतोष शर्मा आदि प्रमुख रूप से यात्रा के संचालन में सक्रिय रहे।
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