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संसदीय संकुल विकास परियोजना से लोकल रिसोर्स, लोकल टेलेन्ट और लोकल मार्केट विकसित होगा: वी. सतीशकांग्रेस के समय जनजाति विकास की योजनाएं दिल्ली बैठकर बनती थी, मोदी जी के कालखंड में ये धरातल के अनुभव से बनती है: वी. सतीश

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24 News Update उदयपुर।
भारतीय जनता पार्टी के संघटक वी. सतीशजी ने कहा कि आजादी के बाद से उपेक्षित रहे जनजातीय क्षेत्र में लोकल रिसोर्स, लोकल टेलेन्ट और लोकल मार्केट को विकसित करने के उद्देश्य को लेकर संसदीय संकुल विकास परियोजना की परिकल्पना भाजपा द्वारा की गई है। इस परियोजना से जनजाति क्षेत्र में हो रहे पलायन को रोक कर गांव के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके रोजगार के साधन विकसित किए जा रहे हैं।
श्री वी. सतीशजी शनिवार को यहां सुखाड़िया विश्वविद्यालय के बप्पा रावल सभागार में उदयपुर संसदीय संकुल विकास परियोजना के शुभारम्भ अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद से जनजाति क्षेत्र और वहां के लोगों का जीवन उपर उठाने के लिए योजनाबद्द तरीके से काम हो रहा है। आजादी से पहले अंग्रेजों ने और उसके बाद की कांग्रेस की सरकारों ने देश के जनजाति समाज को लेकर कई गलत धारणाएं बनाई। उन्हें अशिक्षित मानकर विकास की मुख्य धारा से दूर रखा। नेहरुजी रूस से पंचवर्षीय योजना कॉपी करके लेकर आए जिसमें योजना दिल्ली में बनती थी और उसके फंड के लिए राज्य सरकारों को मिन्नतें करनी पडती थी।
भाजपा शासन में अटलजी ने जनजाति के समग्र विकास लिए भारत सरकार में 1999 में अलग से मंत्रालय और संविधानिक हक-रक्षा हेतु राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग बनाकर जनजाति विकास की एक नई नींव रखी। इसके बाद नरेंद्र मोदी की सरकार ने विकसित भारत की सोच रखी, जो नए भारत की एक राह बनेगी। उन्होंने संकुल परियोजना को सफल बनाने के लिए एक महीने या दो महीने की कार्ययोजना व दीर्घकालीन बदलाव के लिए डीपीआर बनाने का सुझाव देते हुए कहा कि अधिकारियों के साथ बैठक कर ऐसी छोटी-छोटी योजनाओं पर काम करें जो जनजाति क्षेत्र के लिए बनी है, लेकिन लोगों की जानकारी में नहीं है। उन्होंने कहा कि विकास के लिए बडी बडी राशि अधिकारी बताते हैं, लेकिन मौके पर कोई काम नहीं मिलता। इसको रोकने के लिए ही संकुल परियोजना लाई गई है, ताकि अधिकारी और नेता दोनों जिम्मेदार बने। उन्होंने संकुल परियोजना में चयनित गांवों के लोगों से भी आह्वान किया कि वे भी इसमें सहयोगी बने और अपने गांव का चेहरा बदलने का मानस बनाए। उन्होंने कहा कि देश में उदयपुर ऐसा संसदीय क्षेत्र बन गया है जहां इस परियोजना का शुभारंभ को इतने बडे स्तर पर किया गया है। इसके लिए सांसद मन्नालाल रावत के प्रयास सराहनीय है।
जनजाति मंत्री बाबूलाल खराडी ने कहा कि जनजाति लोगों का पलायन रोककर उन्हें स्थानीय स्तर पर ही रोजगार दिए जाएंगे। इसके लिए जनजाति विकास विभाग की योजनाओं को भी लागू किया जाएगा। निजी कंपनियों के सीएसआर का पैसा भी उपयोगी जगहों पर लगे ऐसा प्रयास करना होगा। गुजरात डेयरी उत्पाद में इसीलिए आगे बढा क्योंकि उन्होंने स्थानीय स्तर पर इसके लिए खूब मेहनत की।
कार्यक्रम आयोजक सांसद डॉ मन्नालाल रावत ने पीपीटी के जरिए बताया कि उदयपुर संसदीय क्षेत्र में 2 संकुल का चयन किया गया है। पहला उदयपुर जिले में देवास, झाडोल जिसे राणा पूंजा संकुल नाम दिया है तथा दूसरा सलूम्बर जिले का चावंड है, जिसे महाराणा प्रताप संकुल नाम दिया है। उक्त संकुलों में चयनित ग्राम समूहों में विभिन्न विकास कार्य जैसे आधुनिक एवं प्राकृतिक कृषि एवं वन आधारित उत्पादों, पशुपालन, कौशल विकास, मत्स्य पालन, सिंचाई, जलग्रहण इत्यादि के माध्यम से आजीविका को बढ़ावा दिया जाएगा।
राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया ने भी इस परियोजना को जनजाति के लिए मील का पत्थर बताया। उन्होंने बताया डूंगरपुर-बांसवाडा संसदीय क्षेत्र में भी इस परियोजना का शुभारंभ जल्द होगा। कार्यक्रम में भाजपा देहात जिलाध्यक्ष पुष्कर तेली ने सभी आमंत्रित अतिथियों का स्वागत किया व शहर जिलाध्यक्ष गजपाल सिंह राठौड ने सभी आमंत्रित अतिथियों का धन्यवाद किया। महामंत्री दीपक शर्मा ने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में भाजपा के पूर्व शहर जिलाध्यक्ष रवींद्र श्रीमाली, देहात पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्रगुप्त सिंह, प्रभारी बंशीलाल खटीक, सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक प्रमोद सामर व अन्य कई प्रबुद्दजन उपस्थित थे। इस अवसर पर उल्लेखनीय सेवाओं के लिए थावरचंद डामोर, राधिका लढ्ढा, ओमप्रकाश, सी बी मीणा, अमरसिंह मीणा, थावरचंद व प्रेम चौबीसा का अभिनंदन किया गया।

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