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भक्ति बिना जीवन व मोक्ष व्यर्थ हैः संत तिलकराम महाराज

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24 News Update सागवाड़ा (जयदीप जोशी)। नगर के आसपुर मार्ग लोहारिया तालाब के सामने सिथत कान्हडदास दास धाम बड़ा रामद्वारा में चातुर्मास में शाहपुरा धाम के रामस्नेही संत तिलकराम ने सत्संग में भक्ति बिना जीवन व मोक्ष व्यर्थ है । भक्ति जागरण होने पर भगवान का अनूप रूप नजर आएगा परमात्मा सबका भला करने वाले होते हैं वो किसी का भी बुरा नहीं करते। संत ने कहा ब्रह्म पूजा बंद करके मानसिक पूजा भी प्रारंभ कर दे तो भी भगवान प्रकट हो जाते हैं आंख बंद कर तन, मन ,तप कर पूजा करनी चाहिए । शरीर एक चलता फिरता मंदिर है ।
संत के चरण जड़ी- बूटी के समान होते हैं जो सारे कष्ट दूर कर देते हैं । जो सुख संतो के पास है वह संसार में नहीं । भगवान के भीतर से दर्शन नहीं आत्ममन से दर्शन हो पाते हैं । गुजार ( निरंतर राम-राम जाप करना ) से जीव चीत हो जाता है । धोबी का रंग धोने से उतर जाता सत्संग का रंग जीवन सुधार जाता । शंख की ध्वनि से वातावरण शुद्ध हो जाता है भगवान के प्रसाद से मन शुद्ध होता है । मंदिर का घंटा बजाने से भगवान चेतन हो जाते हैं । हमें कर्म के हिसाब से ही फल मिलता है । अच्छे बुरे कर्मों का फल उसी अनुसार मिलता है । कर्म विधान को समझकर कर्म संवर से बचने का प्रयास करता है इसके लिए साधना करनी पड़ती है । आदमी की प्रकृति और व्यवहार के अनुसार कर्म आत्मा से चिपकते हैं । समय आने पर वे फल देते हैं । कर्म भी समय पर फल देता है पाप और पुण्य दोनों का बंध होता है । पाप कर्म से स्पष्ट और कठिनाई मिलती है । पुण्य कर्म अच्छे आचरण से होते हैं । पुण्य से शरीर सक्षम, सुंदर और स्वस्थ रहता है । तप , साधना और सेवा से पुण्य अर्जित होता है । फिर भी पुण्य का निदान नहीं करना चाहिए । जो लोग अशक्त या कमजोर है, उनके प्रति सहयोग का भाव रखना चाहिए । हमें स्वयं की रक्षा से बचना ही नहीं बल्कि दूसरों को भी सुरक्षित रखना है ,यह सुरक्षा केवल भौतिक साधनों से नहीं, बल्कि संस्कारों, नैतिक मूल्यों और अच्छे आचरण से आती है । हमें आत्मा को ऐसे सद्गुणों से बांधना है जो हर परिस्थिति में बुराई से हमारी रक्षा कर सके । हमें जीवन में बंधन को समझना होगा एक बंधन आत्मा की उन्नति की ओर ले जाता है व दूसरा मोह ,माया और राग- द्धेश्य में उलझ कर पतन की ओर धकेल दे । प्रवक्ता बलदेव सोमपुरा ने बताया संत प्रसाद जगदीश गुप्ता परिवार का रहा सत्संग में अनूप परमार, कैलाश माकड़ ,नाथू परमार ,विष्णु भावसार, सुरेंद्र शर्मा के अतिरिक्त चंदा सोनी, प्रेमलता, अनीता सुथार, सुधा गुप्ता ,राजेश्वरी शर्मा,शकुंतला भावसार तुलसी, गमीरी परमार, भानु सेवक सहित रामस्नेही भक्त उपस्थित रहे।

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