24 News Upate. उदयपुर। चर्चित पेपर लीक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की पूछताछ की बात कहते हुए सामने आई कुछ खबरों के बाद राजनीतिक और कानूनी हलकों में नई बहस छिड़ गई है। पेपर लीक मास्टर माइंड आरपीएससी के पूर्व सदस्य बाबूलाल कटारा के कथित बयानों के आधार पर मीडिया समूहों द्वारा लगाए गए आरोपों पर अब तत्कालीन डूंगरपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष रहे दिनेश खोड़निया का तीखा और स्पष्ट पक्ष सामने आया है।
दिनेश खोड़निया ने कहा है कि उनके खिलाफ जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे तथ्यहीन हैं और एक सुनियोजित राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा हैं। उनका कहना है कि इसमें उनकी ही पार्टी के कुछ असंतुष्ट लोग और कुछ यूट्यूब चैनल भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
मीडिया समूह ने क्या आरोप लगाए
खोड़निया ने जिस मीडिया समूह का उल्लेख किया, उसने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया था कि ईडी की पूछताछ में बाबूलाल कटारा ने कबूल किया है कि उसने आरपीएससी सदस्य बनने के लिए 1.20 करोड़ रुपये का सौदा किया था और इस सौदे में दिनेश खोड़निया की भूमिका बताई गई थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इंटरव्यू में चयन के बदले अभ्यर्थियों से वसूली गई राशि का उपयोग इस सौदे में किया गया।
इन्हीं दावों को खोड़निया ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि जांच एजेंसियां ढाई साल तक उनके पीछे रहीं, कई बार पूछताछ हुई, घर पर ईडी की कार्रवाई भी हुई, लेकिन अंततः भारत सरकार की ट्रिब्यूनल कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।
24 लाख भी लौटे, मामला खत्म हो चुका
खोड़निया ने बताया कि ईडी द्वारा उनके घर से जब्त किए गए 24 लाख रुपये भी बाद में रिलीज कर दिए गए। उनके अनुसार, यह इस बात का प्रमाण है कि एजेंसियों को उनके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला। उन्होंने यह भी कहा कि बाबूलाल कटारा ने जेल में रहते हुए स्वयं इस पूरे मामले का न्यायालय में खंडन किया था। इसके बावजूद पुराने आरोपों को दोबारा उछालना दुर्भावना से प्रेरित है।
आरपीएससी सदस्य बनने की अनुशंसा करने वालों के नाम
ईडी की पूछताछ में बाबूलाल कटारा द्वारा दिए गए बयानों के अनुसार जो खबरें छपी हैं उसमें बताया गया है कि कटारा को आरपीएससी सदस्य बनने के लिए कई जनप्रतिनिधियों द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री को अनुशंसा की गई थी। इनमें— तत्कालीन डूंगरपुर जिला कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश खोड़निया, विधायक गणेश गोगरा, खैरवाड़ा विधायक डॉ. दयाराम परमार, बागीदौरा विधायक महेन्द्र सिंह मालवीया, पूर्व सांसद रघुवीर मीणा, जनजाति मंत्री अर्जुन बामणिया, तथा प्रतापगढ़ विधायक रामलाल मीणा के नाम शामिल बताए गए हैं। इन अनुशंसाओं के करीब छह महीने बाद उसका मनोनयन आरपीएससी सदस्य के पद पर हुआ बताया जा रहा है।
मानहानि का मुकदमा करूंगा
दिनेश खोड़निया ने स्पष्ट किया कि वे इस मामले में घबराने वाले नहीं हैं और कुछ पत्रकारों व डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि पूरे घटनाक्रम की जानकारी वे पार्टी नेतृत्व—राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे—को भी देंगे। उन्होंने शुभचिंतकों से अपील की कि वे किसी भी तरह की चिंता न करें, क्योंकि कानूनन वे पहले ही दोषमुक्त हो चुके हैं। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, जांच एजेंसी के समक्ष दिए गए बयान तब तक निर्णायक नहीं माने जा सकते, जब तक वे ठोस साक्ष्यों के साथ अदालत में सिद्ध न हों। खोड़निया के मामले में ट्रिब्यूनल कोर्ट से राहत और जब्त राशि की रिहाई इस बात की पुष्टि करती है कि फिलहाल उनके खिलाफ कोई अभियोजन लंबित नहीं है।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.