24 न्यूज अपडेट, जयपुर। शास्त्री नगर थाना पुलिस ने दो साल से फरार चल रही फर्जी महिला सब-इंस्पेक्टर मोना बुगालिया उर्फ मूली देवी (28) को सीकर से गिरफ्तार किया है। नागौर जिले के नीम्या का बास निवासी मोना ने राजस्थान पुलिस अकादमी (आरपीए) में फर्जी पहचान के सहारे सब-इंस्पेक्टर की ट्रेनिंग ली और पुलिस वर्दी पहनकर अफसरों के साथ घूमती रही। वह खुद को एसआई बताकर वॉट्सऐप कॉल्स के जरिए आम लोगों को धमकाती थी।
एसआई भर्ती में फेल होने के बाद रच डाली फर्जी पहचान की कहानी
शास्त्री नगर थाना प्रभारी महेन्द्र यादव ने बताया कि मोना ने वर्ष 2021 में एसआई भर्ती परीक्षा दी थी, लेकिन चयन नहीं हो पाया। इसके बावजूद उसने सोशल मीडिया पर खुद के चयनित होने की झूठी सूचना फैलाई और आरपीए में ट्रेनिंग शुरू कर दी। इस दौरान वह वर्दी में नजर आती और खुद को प्रशिक्षु एसआई बताकर आईपीएस, आरपीएस और अन्य अफसरों के साथ फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर डालती थी। यही नहीं, वह पुलिस की कार्रवाई का धौंस दिखाकर वॉट्सऐप कॉल के जरिये सीकर क्षेत्र के लोगों को धमकाती भी थी।
आरपीए में प्रवेश के लिए इस्तेमाल करती थी अफसरों वाले गेट
पुलिस जांच में सामने आया कि मोना बगैर किसी वैध पहचान के आरपीए में प्रवेश करती थी। वह मुख्य द्वार से जाने के बजाय उस गेट का इस्तेमाल करती थी, जो वरिष्ठ अधिकारियों व उनके परिजनों के लिए आरक्षित होता है। इससे वह आईडी चेकिंग से बच जाती थी। यही नहीं, ट्रेनिंग के दौरान उसने पुलिस से बचने के कई तरीके भी सीख लिए थे।
धमकी भरे वॉट्सऐप मैसेज से हुआ खुलासा
मोना एक एसआई के वॉट्सऐप ग्रुप में भी शामिल थी। एक बार उसने ग्रुप में मौजूद एक वास्तविक एसआई को धमकी दे दी। इससे शक होने पर उस एसआई ने इसकी शिकायत पुलिस अकादमी प्रशासन से की। जब जांच हुई, तो पता चला कि मोना का नाम किसी भी बैच में दर्ज नहीं है। इसके बाद वर्ष 2023 में आरपीए की ओर से शास्त्री नगर थाने में मोना के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े की एफआईआर दर्ज करवाई गई।
किराए के मकान में कोचिंग छात्रा बनकर रह रही थी
पुलिस की दबिश की खबर लगने के बाद मोना शास्त्री नगर स्थित किराए के मकान से फरार हो गई थी। तलाशी में उसके कमरे से पुलिस की वर्दी, बैच, फर्जी आईडी कार्ड और बेल्ट भी बरामद हुए थे। दो साल तक फरार रहने के दौरान वह सीकर में एक किराए के मकान में कोचिंग छात्रा बनकर रहने लगी थी। मुखबिर की सूचना पर पुलिस टीम ने सीकर में दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
अब फर्जीवाड़े के नेटवर्क की जांच में जुटी पुलिस
पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि मोना को आरपीए में एंट्री दिलवाने में किन लोगों ने मदद की, क्या किसी अंदरूनी व्यक्ति का सहयोग उसे मिला था, और उसने पुलिस की वर्दी और पहचान से जुड़ा सामान कहां से प्राप्त किया। पुलिस यह भी जांच रही है कि मोना ने फर्जी एसआई बनकर किन-किन लोगों से संपर्क किया और क्या उसने कोई वित्तीय या अन्य लाभ उठाया।
प्रारंभिक धाराएं – IPC 420 (धोखाधड़ी), 468 (फर्जी दस्तावेज तैयार करना), 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग), और अन्य संबंधित धाराएं दर्ज की गई हैं।
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