24 News Update उदयपुर। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो इन दिनों जिस अव्यवस्था से गुजर रही है, उसने हवाई सफर को लगभग मुंबई की लोकल ट्रेन या दिल्ली की DTC बस के स्तर पर ला दिया है। चार दिन से जारी क्रू की भारी कमी ने भारत की सिविल एविएशन व्यवस्था और सरकारी निगरानी—दोनों को कठघरे में खड़ा कर दिया है। सरकार की ओर से सिर्फ ‘मॉनिटरिंग’ का बयान और एयरलाइन की अस्पष्ट सफाई, दोनों ही यात्रियों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा काम कर रही हैं। आज उदयपुर पहुंचे यात्रियों में से दीपित खोखावत ने बताया कि दुगुना किराया देकर दूसरे विमान से बेंगलूरू से उदयपुर आने में 12 घंटे ज्यादा का समय लग गया। यही नहीं उनका परिवार अब भी पुणे में 24 घंटे से अटका हुआ है। एयरपोर्ट पर भारी अव्यवस्थाओं का आलम है,कोई जवाब देने वाला नहीं है।
500+ उड़ानें रद्द, हजारों लोग फर्श पर अटके—फ्लाइट नहीं, अफरा- तफरी उड़ रही है
शुक्रवार को देशभर में 500 से ज्यादा इंडिगो उड़ानें रद्द हो गईं। आंकड़ों में यह संकट कुछ यूं दिखता है— दिल्ली: 225 उड़ानें रद्द, बेंगलुरु: 102 उड़ानें, पुणे: 32
हैदराबाद: 32, देश की सबसे भरोसेमंद कही जाने वाली एयरलाइन की हालत यह है कि— यात्री 24-24 घंटे तक फर्श, कुर्सियों और सीढ़ियों पर पड़े इंतजार कर रहे हैं IGI एयरपोर्ट पर हजारों बैग लावारिस पार्सल की तरह बिखरे पड़े हैं छोटे बच्चे कुर्सियों पर सो रहे हैं, बुजुर्गों को पानी तक नहीं एक महिला यात्री की बात इस अव्यवस्था की सबसे कड़ी गवाही देती है— “सुबह 5 बजे से बैठे हैं। न मैसेज, न मेल… एयरपोर्ट आकर पता चला—फ्लाइट कैंसिल!”
उदयपुर
इंडिगो ने मांगी FDTL में छूट—पर सवाल यह कि क्रू संकट रोका क्यों नहीं गया?
इंडिगो ने DGCA से 10 फरवरी 2026 तक FDTL (फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन) में छूट की मांग की है। यह वही नियम है जो बताता है कि एक पायलट या केबिन क्रू कितने घंटे तक उड़ान भर सकता है।
छूट की मांग यह साबित करती है कि—
संकट पुराना था इसकी आशंका पहले से थी न एयरलाइन ने समय पर भर्ती की
न सरकार ने कोई सख्त निगरानी अब DGCA ने जो कदम सुझाए हैं, वे भी ‘आग लगने के बाद कुआँ खोदने’ जैसे हैं— हर 15 दिन में प्रोग्रेस रिपोर्टक्रू की तत्काल भर्ती ट्रेनिंग व रोस्टर री-स्ट्रक्चरिंग सेफ्टी प्लान सवाल उठते हैं कि दो हजार से ज्यादा उड़ानें रद्द होने के बाद याद क्यों आया कि ‘निगरानी’ करनी चाहिए? क्या भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन को संभालने के लिए सरकार को इतना इंतज़ार करना पड़ा? देशभर में हाहाकार—यात्रियों ने कहा: दूसरी एयरलाइंस ने किराया डबल कर दिया गोवा, मुंबई, अहमदाबाद, रायपुर—लगभग हर एयरपोर्ट से गुस्से की एक जैसी आवाजें सुनाई दे रही हैं। “इंडिगो एक्सचेंज ऑफर दे रहा है, पर कर्मचारियों को खुद नहीं पता की दूसरी फ्लाइट चलेगी भी या नहीं।”
“कनेक्टिंग फ्लाइट छूट गई, कोई मदद नहीं।”
“अहमदाबाद–वाराणसी फ्लाइट रद्द… आज तक सामान नहीं मिला।” और सबसे बड़ा आरोप— “दूसरी एयरलाइंस ने किराया दोगुना कर दिया है।” क्या एविएशन रेगुलेटर DGCA इस लूट को सिर्फ दूर से देख रहा है? एयरलाइन और सरकार—दोनों की नाकामी साफ इंडिगो का दावा है कि— “तीन महीने में संचालन सामान्य कर देंगे।”
पर इससे ज्यादा तीखे सवाल जनता पूछ रही है— इतने बड़े स्तर पर क्रू की कमी कैसे हुई। रोस्टर मैनेजमेंट की गड़बड़ी महीनों से थी—किसने इस पर लगाम नहीं लगाई? हर दिन 170–200 उड़ानें रद्द हो रही थीं—तब कोई कार्रवाई क्यों नहीं?
स्पष्ट है— सरकारी उदासीनता + एयरलाइन की लापरवाही = हजारों यात्रियों की तबाही
यह इंडिगो का संकट नहीं, पूरे सिस्टम की थक चुकी रीढ़ का संकेत
आज इंडिगो चरमराया है, कल कोई और एयरलाइन डगमगा सकती है।
भारत के एविएशन सेक्टर में— क्रू की क्रॉनिक कमी पायलटों का बढ़ता वर्कलोड
मनमाने समय-सारणी और नियामकों की ढील ये सब मिलकर एक गहरा संकट बना चुके हैं। आज एयरपोर्ट्स पर फैली अव्यवस्था सिर्फ यह बता रही है कि— हमारे विमान आकाश में नहीं, सिस्टम ज़मीन पर गिर चुका है।
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