Site icon 24 News Update

20 दिन बाद लौटे भारत के जवान: पाकिस्तान ने BSF कॉन्स्टेबल पूर्णम कुमार शॉ को अटारी-वाघा बॉर्डर पर सौंपा, BSF की लगातार कोशिशों के बाद रिहाई संभव

Advertisements

24 News Update अमृतसर/नई दिल्ली | करीब 20 दिन पाकिस्तान की हिरासत में बिताने के बाद भारत के सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान कॉन्स्टेबल पूर्णम कुमार शॉ को बुधवार सुबह 10:30 बजे अटारी-वाघा बॉर्डर पर भारतीय अधिकारियों को सौंपा गया। उनकी सुरक्षित वापसी BSF के वरिष्ठ अधिकारियों और पाक रेंजर्स के बीच निरंतर संवाद और समन्वय का परिणाम रही।
BSF का आधिकारिक बयान
BSF मुख्यालय (Block No. 10, CGO Complex, लोदी रोड, नई दिल्ली) द्वारा 14 मई को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया:
“आज सुबह 10:30 बजे कॉन्स्टेबल पूर्णम कुमार शॉ को अटारी-वाघा बॉर्डर पर पाकिस्तान से भारत लाया गया। 23 अप्रैल 2025 को लगभग 11:50 बजे ड्यूटी के दौरान वे अनजाने में फिरोजपुर सेक्टर में पाकिस्तानी क्षेत्र में चले गए थे, जिसके बाद उन्हें पाक रेंजर्स द्वारा हिरासत में ले लिया गया।
BSF ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पाक रेंजर्स के साथ लगातार फ्लैग मीटिंग्स और अन्य संवाद माध्यमों के ज़रिए उठाया। हमारी सतत कोशिशों से जवान की वतन वापसी संभव हो सकी।”
— जनसंपर्क अधिकारी, सीमा सुरक्षा बल
क्या हुआ था 23 अप्रैल को?
पश्चिम बंगाल के निवासी पूर्णम कुमार शॉ, BSF की फिरोजपुर सेक्टर की यूनिट में तैनात थे। 23 अप्रैल को दोपहर करीब 11:50 बजे वे ऑपरेशनल ड्यूटी के दौरान अचानक नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तानी क्षेत्र में पहुंच गए, जहां उन्हें पाकिस्तान रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया था। जवान की गलती से सीमा पार करने के बाद भारत ने तुरंत राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से पाकिस्तान से संपर्क किया। BSF और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच कई दौर की फ्लैग मीटिंग्स, डीजीएमओ स्तर की बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों से जवान की वापसी की प्रक्रिया आगे बढ़ी।
स्वास्थ्य जांच और पूछताछ
जवान को अटारी-वाघा सीमा पर रिसीव करने के बाद BSF अधिकारियों द्वारा मेडिकल जांच के लिए भेजा गया, जहाँ उनकी हालत सामान्य पाई गई। इसके बाद उनसे औपचारिक पूछताछ की जा रही है, जिसमें यह जानने की कोशिश होगी कि सीमा कैसे पार हुई और पाकिस्तानी हिरासत के दौरान क्या हुआ।

रिहाई में आई मुश्किलें
जैसे ही घटना की सूचना BSF को मिली, सीनियर अधिकारी मौके पर पहुंचे और पाकिस्तानी रेंजर्स से बातचीत शुरू की। यह बताया गया कि जवान हाल ही में ट्रांसफर होकर आए थे, और जीरो लाइन की सटीक जानकारी नहीं थी। बावजूद इसके, पाकिस्तानी रेंजर्स ने तुरंत रिहाई से इनकार कर दिया। इसके बाद: 2 से 3 फ्लैग मीटिंग्स हुईं, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। BSF के महानिदेशक (DG) दलजीत सिंह चौधरी ने केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन से संपर्क साधा। अंततः DGMO स्तर की बातचीत और निरंतर संवाद से मानवीय आधार पर रिहाई को मंजूरी दी गई।
गर्भवती पत्नी का संघर्ष
जवान की गर्भवती पत्नी रजनी 28 अप्रैल को पश्चिम बंगाल से फिरोजपुर पहुंचीं। उन्होंने BSF के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की और दो दिन फिरोजपुर में रुकीं, लेकिन तबीयत खराब होने के चलते उन्हें वापस भेज दिया गया।

Exit mobile version