उदयपुर 20 जुलाई। सर्वऋतु विलास स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में राष्ट्रसंत आचार्यश्री पुलक सागर महाराज ससंघ का चातुर्मास भव्यता के साथ संपादित हो रहा है। किसी क्रम में रविवार को टाउन हॉल नगर निगम प्रांगण में 27 दिवसीय भव्य एवं दिव्य ज्ञान गंगा महोत्सव कार्यक्रम का आगाज हुआ। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फान्दोत ने बताया कि शहर में आध्यात्मिक चेतना का माहौल उस समय चरम पर पहुंच गया जब राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर महाराज के सान्निध्य में भव्य ज्ञान गंगा महोत्सव का शुभारंभ हुआ। जिसमें हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लेकर गुरु भक्ति, धर्म और संयम की भावना को आत्मसात किया।
आचार्यश्री ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि ज्ञान गंगा का पहला दिन है आज, किसी ने मुझसे पूछा – ज्ञान गंगा महोत्सव क्या होता है, मैने कहा ज्ञान गंगा में यदि कौआ स्नान करें तो हंस हो जाता है, और हंस स्नान करें तो परमहंस बन जाता है । एक हिमालय से गंगा निकली है और एक गंगा संत के अंदर से निकलती है । गंगा भी छोटी सी लकीर के रूप में निकलती है, और अंत में वह गंगा सागर का रूप ले लेती है, उसी तरह पुलक सागर की इस ज्ञान की गंगा में इतना डूबना सीखे कि लोगों से मीठा बोलना सिख जाएं । जिंदगी को जीना सीखे । इंसान को इंसान बनाने की फैक्ट्री लगाई है, जिसमें 27 दिनों तक जीवन को परिवर्तन करने का प्रयास में करूंगा । स्वर्ग की तलाश में रहोगे तो स्वर्ग नहीं मिलेगा, लेकिन जो आदमी जीते जी स्वर्ग जैसी जिंदगी जीता है, तो उसे अवश्य स्वर्ग मिलेगा, लेकिन जो जीते जी नरक जैसी जिंदगी जीता है, उसे कभी स्वर्ग की प्राप्ति नहीं हो सकती ।
आचार्य ने कहा कि एक शिक्षक ने कहां कौन स्वर्ग जाना चाहता है, सभी बच्चों ने हाथ उठाया, एक बच्चे ने नहीं उठाया । तो उसको पूछा सभी स्वर्ग जाना चाहते है तुम नहीं ऐसा क्यों? तो बच्चे ने कहां कि मैं धरती पर स्वर्ग उतारना चाहता हूं, वह बालक था नरेंद्र और जो आगे जाकर स्वामी विवेकानंद बन जाया करता है । आदमी का सबसे पहला परिचय उसके चेहरे से होता है, लेकिन चेहरे का परिचय अधूरा होता है, लेकिन चेहरे का परिचय तब पूरा होता है, जब आदमी बोलता है, आदमी की वाणी सुन्दर होनी चाहिए, तो उस चेहरे की सुंदरता बढ़ जाती है । यदि सुंदर चेहरा अच्छी वाणी नहीं बोले तो उसकी सुंदरता का कोई मतलब नहीं है । आप कितने भी बड़े पद पर पहुंच जाएं, और कितनी भी डिग्री हासिल कर लें, लेकिन आप मीठा नहीं बोल सकते, तो आपका पढ़ा लिखा होने का कोई मतलब नहीं है । अनपढ़ वो नहीं होता जो स्कूल नहीं जाता, अनपढ़ वो होता है जो पढ़ा लिखा होकर भी किसी से मीठी वाणी नहीं बोलता । आदमी इतना आजकल बिना बात के बहुत बोलने लग गया, लेकिन क्या बोलना, कितना बोलना है ये पता नहीं । डेढ़ साल में बच्चा बोलना सीख जाता है, लेकिन क्या बोलना है ये समझने में 100 साल की उम्र भी कम पड़ जाती है । जीभ एक है उसके काम दो है जीभ का काम चखना भी है और बकना भी है, जीभ खाती तो मीठा मीठा है, और बोलती कड़वा कड़वा है । कम बोलो, थोड़ा बोलो, वचन मीठा रखो ।
आचार्य ने कहा कि कौआ किसी को कुछ देता है क्या ? लेकिन कोयल मीठा बोलकर सभी के मन को मोहित कर देती है । जो आदमी ईंट का जवाब पत्थर से देता है वह आदमी कभी स्वर्ग का अनुभव नहीं कर सकता है, जो आदमी ईंट का जवाब फूल से देता है वह आदमी जीते जी स्वर्ग का अनुभव करता है । घर पर भी मां बाप अपने बच्चों से अच्छी और मीठी भाषा का प्रयोग करें, यदि किसी डॉक्टर के पास जाए और वह रिपोर्ट देखकर कहे कि तुम्हारे जाने का समय आ गया है और एक डॉक्टर कह रहा है कि तुम्हें कुछ नहीं होगा, मै हूं ना । सांत्वना से डॉक्टर ने मीठे शब्द बोले तो मरीज भी आधा स्वस्थ हो गया । सब दुनियां में बोलने का ही खेल है । धागा और जुबान जितनी लंबी होगी उतना उलझेगी, धागे को लपेट को रखो और जुबान को जुबान को समेट कर रखो, तो तुम्हारा जीवन सफल हो जाएगा ।
प्रचार-प्रसार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने बताया कि प्रवचन के पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत में मंगल कलश स्थापना, चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन एवं शास्त्र भेंट मुख्य अतिथि शहर विधायक ताराचंद जैन, जिला कलेक्टर नमित मेहता, परम संरक्षक राजकुमार फत्तावत, सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, महामंत्री सुरेश पद्मावत सहित मुख्य संयोजक पारस सिंघवी, अध्यक्ष विनोद फांदोत, कार्याध्यक्ष आदिश खोड़निया, महामंत्री प्रकाश सिंघवी, नीलकमल अजमेरा आदि ने किया। मंगलाचरण नृत्य प्रस्तुति विट्टी इंटरनेशनल स्कूल की बालिकाओं ने दी ।
– मासिक पत्रिका पुलक वाणी का विमोचन
महामंत्री प्रकाश सिंघवी ने बताया कि नगर निगम प्रांगण में चल रहे ज्ञान गंगा महोत्सव के दौरान राष्ट्रसंत पुलक सागर की मासिक पत्रिका पुलक वाणी का विमोचन किया गया। जिसमें महीने भर में आचार्यश्री के सानिध्य में हुए कार्यक्रमों का ब्योरा मय छाया चित्र के साथ प्रस्तुत किया जाता है। जिसमें पूरे चातुमार्स काल के दौरान होने वाले आयोजनों की जानकारी दी जाती है।
इस अवसर पर दिनेश खोड़निया, जिन शरणम तीर्थ के ट्रस्टी निर्मल गोधा, गेंदालाल फान्दोत, शांतिलाल नागदा, नीलकमल अजमेरा, सोमेश वाणावत, सुरेश कोठारी, अजीत विनायक्या सोनम विनायक्या, राजेश गंगवाल, मीना झांझरी, कुशलचंद ठोल्या, विक्की रौनक एवं सीमा फांदोत, सुनील अंजना गंगवाल, सुरेश भंडारी, सुनील संगीता, अंशुल हर्षिता अजमेरा, जिकिशा, अर्चिस, हृदय फांदोत, शांतिलाल भोजन, शांतिलाल मनोत, खूबचंद अनामिका बाकलीवाल सहित महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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