24 news Update चित्तौड़गढ़। डिजिटल युग में तकनीक पर आंख मूंदकर भरोसा कभी-कभी जानलेवा साबित हो जाता है। ऐसा ही हादसा बीती रात चित्तौड़गढ़ जिले के कपासन क्षेत्र में हुआ, जब गूगल मैप के बताए रास्ते पर चली एक वैन सीधे मौत के मुहाने तक पहुँच गई। तीन साल से टूटी और बंद पड़ी बनास नदी की पुलिया पर वैन बह गई, जिसमें एक ही परिवार के नौ लोग सवार थे।
भूपालसागर थाना क्षेत्र के कानाखेड़ा गांव का यह परिवार भीलवाड़ा जिले के प्रसिद्ध सवाई भोज मंदिर में दर्शन कर लौट रहा था। देर रात रास्ता भटकने पर वे सोमी गांव पहुँचे। ग्रामीणों ने उन्हें चेताया कि पुलिया खतरनाक है और बनास का बहाव तेज है। लेकिन ड्राइवर ने गूगल मैप पर भरोसा किया और पुलिया की ओर बढ़ गया। पल भर में वैन तेज धारा में बहकर करीब 300 मीटर दूर जा पहुँची।
पांच लोगों ने मौत को मात दी
तेज बहाव के बीच ड्राइवर मदनलाल ने हिम्मत नहीं हारी। उसने वैन का कांच तोड़कर खुद छत पर चढ़ते हुए परिवार के चार अन्य सदस्यों को भी ऊपर खींच लिया। ये पांच लोग पूरी रात वैन की छत पर मौत से जूझते रहे और सुबह मछुआरे की नाव से उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला गया।
तीन की मौत, एक बच्ची लापता
हादसे में 4 वर्षीय खुशी पुत्री मदनलाल, 21 वर्षीय चंदा पत्नी हेमराज और 25 वर्षीय ममता पत्नी मदनलाल की लाश बुधवार सुबह नदी से बरामद हुई। जबकि 6 वर्षीय रूत्वी पुत्री हेमराज अब भी लापता है।
एनडीआरएफ ने संभाला मोर्चा
रात में ही एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंच गई थी, लेकिन अंधेरे और तेज बहाव के चलते ऑपरेशन सुबह शुरू हो पाया। फिलहाल रेस्क्यू जारी है और गोताखोर लापता बच्ची की तलाश कर रहे हैं।
गूगल मैप पर उठे सवाल
यह हादसा एक बड़ा सवाल छोड़ गया है—क्या गूगल मैप पर पूरी तरह भरोसा करना सही है?
विशेषज्ञों का कहना है कि— कई बार टूटी या नई सड़कें समय पर अपडेट नहीं होतीं। भारी बारिश या बाढ़ जैसी आपदा में रास्ते बदल जाते हैं। कमजोर नेटवर्क होने पर GPS गलत दिशा दिखा सकता है।
ग्रामीणों का कहना है कि इस पुलिया पर वे खुद भी नहीं जाते, क्योंकि इसका बीच का हिस्सा पूरी तरह टूटा हुआ है। लेकिन तकनीक के भरोसे चलने वाले लोग सीधे मौत के रास्ते पर पहुँच गए।
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