24 News Update उदयपुर/जोधपुर। राजस्थान के 11 प्राइवेट डेंटल कॉलेजों में 2016-17 बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (BDS) एडमिशन में गंभीर फर्जीवाड़ा सामने आया है। इसमें NEET परीक्षा में जीरो या माइनस नंबर पाने वाले छात्रों को भी एडमिशन दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कुल 110 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया और नियमों के उल्लंघन पर टिप्पणी की कि यह लालच और अवैध लाभ का मामला है।
उदयपुर में शामिल कॉलेजों में गीतांजलि डेंटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, गीतांजलि यूनिवर्सिटी, दर्शन डेंटल कॉलेज, पैसिफिक डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और पैसिफिक एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी शामिल हैं। अन्य कॉलेज जो कोर्ट के आदेश में शामिल हैं, वे हैं: व्यास डेंटल कॉलेज, एकलव्य डेंटल कॉलेज, दसवानी डेंटल कॉलेज, सुरेंद्र डेंटल कॉलेज (श्रीगंगानगर), राजस्थान डेंटल कॉलेज (जयपुर) और महाराजा गंगा सिंह डेंटल कॉलेज (श्रीगंगानगर)।
फर्जीवाड़े की शुरुआत तब हुई जब 2016 में NEET परीक्षा के बाद कई सीटें खाली रह गईं। 30 सितंबर 2016 को राजस्थान सरकार ने NEET के न्यूनतम पर्सेंटाइल में 10% छूट दी। इसके बाद 4 अक्टूबर 2016 को सीटें फिर भी खाली रहने पर 5% अतिरिक्त छूट दी गई। डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (DCI) ने 5 अक्टूबर 2016 को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इसे नियमों का उल्लंघन बताया। 6 अक्टूबर 2016 को केंद्र सरकार ने राजस्थान को चेतावनी दी और आदेश वापस लेने को कहा। इसके बावजूद प्राइवेट कॉलेजों ने सरकारी छूट का फायदा उठाते हुए शून्य और नेगेटिव नंबर वाले छात्रों को भी एडमिशन दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इसे नियमों का खुला उल्लंघन माना। कोर्ट ने कहा कि कॉलेजों ने लालच में हर सीट भरने के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाईं।
सुप्रीम कोर्ट ने बचा दी डिग्रियां, कहा—शपथ पत्र दो, 2 साल तक निशुल्क सेवा दो
सुप्रीम कोर्ट ने इन छात्रों की डिग्रियां सुरक्षित रखी, लेकिन शर्त रखी कि सभी को 8 सप्ताह के भीतर शपथ पत्र देना होगा। इसमें कहा गया है कि जब भी राज्य सरकार को आवश्यकता होगी, छात्रों को दो साल तक नि:शुल्क (pro-bono) सेवा देनी होगी। शपथ पत्र न देने पर डिग्री खतरे में पड़ सकती है।
हर कॉलेज पर 10 करोड़ का जुर्माना
कॉलेजों पर कुल 110 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया। प्रत्येक कॉलेज पर 10 करोड़ और राज्य सरकार पर 10 लाख रुपए। जुर्माने की राशि बैंक में एफडी में जमा करवाई जाएगी। इससे मिलने वाले ब्याज का उपयोग वन स्टॉप सेंटर, नारी निकेतन, वृद्धाश्रम और बाल देखभाल संस्थानों के रखरखाव के लिए किया जाएगा। कोर्ट ने इसके सही उपयोग की निगरानी के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में 5 जजों की कमेटी बनाने का आदेश भी दिया, जिसमें कम से कम एक महिला जज शामिल होगी। अब लोग कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और नियमों की पालना सुनिश्चित करने के लिए लिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह राहत केवल उन छात्रों के लिए है, जिन्होंने अपना कोर्स पूरा कर लिया है, और भविष्य में इसे नजीर नहीं माना जाएगा।
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