24 News Update उदयपुर. वरिष्ठजन को सुर साधना का मंच देने वाले ‘स्वर सुधा’ ग्रुप की नियमित बैठक बृजराज होटल में आयोजित हुईं | जिसका आगाज़, परंपरानुसार सामूहिक रूप से मां सरस्वती की आराधना से किया गया। प्रारंभिक अल्पाहार के पश्चात , डॉ .सुनीता जी के मंच संचालन में सुरीले गानो की शुरुवात श्रीमती मंजू गर्ग के -” जीत ही लेंगे बाजी हम तुम” के मधुर गीत से हुई, श्रीमति रजनी जोशी ने- छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए, श्री पराग सिंह भाटी ने- वो तेरे प्यार का गम, बी . ऐन .पांडे ने- मुझे तुम से मोहब्बत है, श्रीमती सर्वेश माथुर ने जगजीत सिंह की ग़ज़ल होंठों से छूलो तुम, श्रीमती कुसुम लता त्रिपाठी ने- बलमा माने ना, देवव्रत पंड्या ने- फिर कोई मुस्कुराया, अशोक कुमार जोशी ने- तुम जो हमारे मीत न हो ते, चक्षु पाण्डेय ने- ये क्या हुआ, सुषमा अग्रवाल ने- नैनो में बदरा छाए, प्रियव्रत पंड्या ने- सब कुछ सिखा हम ने, मधुबाला पंडित ने- ओ सजना, बरखा बाहर आई, के.के .त्रिपाठी ने- जहां तू है, वहां चांदनी को कौन पूछेगा, एम.पी.माथुर ने क्लासिकल गायिका शांति हीरानंद की गाई हुई और शकील बदायूंनी की ग़ज़ल- नजर नवाज़ नजरों में जी नहीं लगता , पूनम बिलोची ने-जुर्म में उल्फत पे हमे लोग सजा देते हैं, उषा कुमावत ने-, लगजा गले से, डॉ .सुनीता ने-बाबूजी धीरे चलना सुना कर सुरलहरी सजाई|
श्री कुमावत सा. ने रिटायर्ड पति की पीड़ा तथा श्री आर.सी.जोशी ने चाय के गुणों पर हास्य प्रस्तुत कर सभी को गुद गुदाया।
मीडिया प्रभारी प्रोफेसर विमल शर्मा ने बताया की आज की सबसे अधिक आकर्षक प्रस्तुति परिवार जन के साथ आये चार वर्षीय अद्वैत पाण्डेय द्वारा सम्पूर्ण सुर ताल में गाना – ये शाम मस्तानी , रही जो उसे कंठस्थ भी था |
इन के अलावा श्रीमती रेणु माथुर, श्रीमति ज्योति जोशी,श्री अग्रवाल,श्री विजय गर्ग, श्रीमती चेतना पंड्या एवं श्रीमति कार्तिका पंड्या,भी इस मोहक कार्यक्रम में उपस्थित थे।
सुरुचिपूर्ण भोजन के बाद हाऊजी एवं अंताक्षरी के बहुत ही रोचक राउंड के साथ ही कार्यक्रम को विराम दिया गया
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