24 न्यूज अपडेट, नई दिल्ली। भारतीय रेल ने अपने कर्मचारियों की ट्रेनिंग प्रणाली को और अधिक आधुनिक, व्यवहारिक और प्रभावी बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। इसी कड़ी में पहली बार मल्टी-डिसिप्लिनरी ज़ोनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स के प्राचार्यों का राष्ट्रीय सम्मेलन ट्रैफिक निदेशालय के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।
वर्तमान में भारतीय रेल के 14 एमडीज़ेटीआई संस्थान फील्ड स्टाफ को प्रशिक्षण देते हैं। यहाँ नए भर्ती कर्मचारियों को प्रारंभिक कोर्स और कार्यरत कर्मचारियों को समय-समय पर रिफ्रेशर ट्रेनिंग दी जाती है। रेलवे का मानना है कि आधुनिक ट्रेनिंग न सिर्फ कर्मचारियों की दक्षता बढ़ाएगी, बल्कि सुरक्षित और सुचारु संचालन की गारंटी भी बनेगी।
केस स्टडी और सिमुलेटर पर जोर
सम्मेलन में चर्चा का मुख्य विषय रहा कि कैसे केस स्टडीज़ के माध्यम से ट्रेन संचालन और सुरक्षा से जुड़ी जटिलताओं को कर्मचारियों तक बेहतर तरीके से पहुँचाया जा सकता है। साथ ही, ट्रेनिंग को अधिक संवादात्मक और रोचक बनाने के लिए सिमुलेटर के व्यापक उपयोग पर भी सहमति बनी।
प्रशिक्षण प्रक्रिया को और बेहतर बनाने के लिए नियमित फीडबैक संग्रह की व्यवस्था करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा, विभिन्न एमडीज़ेटीआई संस्थानों द्वारा तैयार किए गए प्रशिक्षण व लेक्चर वीडियो को एक साझा प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई, ताकि कर्मचारियों को एक ही स्थान पर उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री मिल सके।
दिल्ली मेट्रो रेल अकादमी का दौरा
सम्मेलन के दौरान एमडीज़ेटीआई प्राचार्यों ने दिल्ली मेट्रो रेल अकादमी का दौरा भी किया। यहाँ उन्होंने मेट्रो की उन्नत प्रशिक्षण पद्धतियों का अवलोकन किया। इस अवसर पर कैब, बोगी एवं सिग्नलिंग सिस्टम्स के सिमुलेटर, ऑटोमैटिक दरवाज़ा प्रणाली और आपातकालीन निकासी प्रक्रिया से संबंधित प्रशिक्षण विधियों का विस्तार से प्रदर्शन किया गया।
रेलवे की प्रतिबद्धता
यह सम्मेलन भारतीय रेल की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक माना जा रहा है, जिसके अंतर्गत प्रशिक्षण ढाँचे को और अधिक आधुनिक, व्यवहारिक एवं उच्च गुणवत्ता वाला बनाने पर जोर दिया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से रेलवे स्टाफ की दक्षता में वृद्धि होगी और सुरक्षित, सुचारु रेल संचालन सुनिश्चित होगा।

