24 News Update जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट परिसर में एक बड़ा खुलासा हुआ है, जहां भवानी सिंह शुक्ला नामक व्यक्ति फर्जी वकील बनकर पिछले 10 वर्षों से न्यायालय में पैरवी कर रहा था। राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रतनाराम ठोलिया और महासचिव शिवलाल बरवड़ के नेतृत्व में मंगलवार को इस फर्जी अधिवक्ता को पकड़ा गया। आरोपी को पकड़ने के बाद उदय मंदिर थाना पुलिस के हवाले कर दिया गया है।
कैसे हुआ फर्जी वकील का पर्दाफाश?
एसोसिएशन के अध्यक्ष रतनाराम ठोलिया ने बताया कि भवानी सिंह शुक्ला और उसकी बेटी, जो अधिवक्ता नहीं हैं, पिछले 10 वर्षों से फर्जी तरीके से न्यायालय में वकील की ड्रेस पहनकर पक्षकारों की पैरवी कर रहे थे। वे दोनों बार काउंसिल की फर्जी सनद और नकली दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट में पेशी दे रहे थे।
NIA कोर्ट में पकड़ा गया फर्जी वकील
मंगलवार सुबह पावटा स्थित NIA कोर्ट में एडवोकेट मोहम्मद अली राव, श्याम सिंह गादेरी, मोहन जाखड़ और सुरेंद्र सिंह गागुड़ा सहित अन्य अधिवक्ताओं के सहयोग से भवानी सिंह शुक्ला और उसकी बेटी को रंगे हाथों पकड़ लिया गया। एसोसिएशन ने दोनों को तुरंत उदय मंदिर थाना पुलिस को सौंप दिया।
कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग
एसोसिएशन के महासचिव शिवलाल बरवड़ की ओर से उदय मंदिर थाने में लिखित रिपोर्ट दर्ज कराई गई है, जिसमें दोनों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है। रिपोर्ट में फर्जी वकीलों द्वारा दस्तावेजों की कूट रचना और जनता के साथ की गई धोखाधड़ी का विस्तृत विवरण दिया गया है।
पहले भी पकड़े जा चुके हैं फर्जी वकील
एसोसिएशन ने पहले भी फर्जी वकीलों के खिलाफ अभियान चलाया है। कुछ महीने पहले ही निजामुद्दीन नामक एक अन्य फर्जी वकील को भी पकड़ा गया था, जो इसी तरह फर्जी दस्तावेजों के जरिए कोर्ट में पैरवी कर रहा था। इस मामले के बाद एसोसिएशन ने एक बैठक बुलाई, जिसमें अध्यक्ष रतनाराम ठोलिया, उपाध्यक्ष धीरेंद्र दाधीच, महासचिव शिवलाल बरवड़, सह सचिव विजेंद्र पूरी, पुस्तकालय सचिव कांता राजपुरोहित और कोषाध्यक्ष विमल कुमार माहेश्वरी सहित कई वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल हुए। बैठक में फर्जी वकीलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया गया। एसोसिएशन ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी अधिवक्ता की पहचान की अच्छी तरह जांच-परख करें और ऐसे फर्जी वकीलों से सतर्क रहें, जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं।
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