24 News update उदयपुर, 30 मार्च:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय धर्मजागरण प्रमुख शरद गजानन ढोले ने वर्ष प्रतिपदा उत्सव पर अपने ओजस्वी उद्बोधन में संघ की गौरवशाली यात्रा और हिंदू समाज के उत्थान के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि संघ की 100 वर्षों की यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है। संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक समाज और राष्ट्र की सेवा में समर्पित है और संघ का हर कार्य राष्ट्र पुनर्निर्माण की दिशा में एक सशक्त कदम है।
संघ की विचारधारा – संगठित समाज, सशक्त राष्ट्र
शरद ढोले ने राजस्थान कृषि महाविद्यालय मैदान में आयोजित वर्ष प्रतिपदा उत्सव में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि संघ की स्थापना डॉ. हेडगेवार द्वारा एक राष्ट्रीय पुनर्जागरण के रूप में की गई थी। यह संगठन देश को आत्मनिर्भर और स्वदेशी भारत के निर्माण की ओर अग्रसर कर रहा है।
उन्होंने कहा कि संघ का लक्ष्य केवल हिंदू समाज को संगठित करना नहीं, बल्कि भारत को आर्थिक रूप से पूर्ण स्वतंत्र बनाना भी है। संघ आज पांच लाख पैतीस हजार से अधिक गांवों में कार्य कर हिंदू समाज को जागरूक कर रहा है।

संघ की 100 वर्षों की यात्रा – एक महाकाव्य की तरह
शरद ढोले ने कहा कि इस विजयादशमी पर संघ अपने 100वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। यह संगठन आज एक वटवृक्ष के रूप में खड़ा है, जिसकी छाया में राष्ट्रहित और समाज सेवा की भावना निरंतर पुष्पित और पल्लवित हो रही है।
उन्होंने कहा,
“डॉ. हेडगेवार को यह भली-भांति आभास था कि कोई बाहरी शक्ति समाज को स्वतंत्र नहीं करा सकती, यह कार्य स्वयं समाज को ही करना होगा। इसी विचार से प्रेरित होकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई।”
संघ का वैश्विक प्रभाव – हिंदू संस्कृति की स्वीकार्यता
शरद ढोले ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदू सनातन धर्म अब केवल भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह संपूर्ण विश्व में अपनी पहचान बना चुका है।
“जब कुम्भ मेले में विभिन्न देशों के राजनेता और प्रतिनिधि मंडल आते हैं, तो यह प्रमाणित होता है कि हिंदू संस्कृति की महत्ता वैश्विक स्तर पर स्वीकार की जा रही है।”
भारत – मूल रूप से एक हिंदू राष्ट्र
संघ की विचारधारा को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि भारत मूल रूप से एक हिंदू राष्ट्र है। उन्होंने रामजन्मभूमि आंदोलन का उदाहरण देते हुए बताया कि जब हिंदू समाज संगठित होता है, तो उसकी शक्ति और दृढ़ संकल्प से राष्ट्र हर दृष्टि से सशक्त बनता है।
उपेक्षित समाज के उत्थान के लिए संघ की पहल
शरद ढोले ने कहा कि आज भी देश में 1.5 से 2 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनके पास आधारभूत सुविधाओं की कमी है। इनमें घुमंतू समाज भी शामिल है, जिन्हें स्वतंत्रता के 75 वर्षों के बाद भी बुनियादी सुविधाएं प्राप्त नहीं हुई हैं। संघ ने इनके पुनर्वास और मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कार्य शुरू कर दिया है।
संघ – एक विचार, जो लोगों के जीवन में परिवर्तन ला रहा है
“संघ को किसी पारंपरिक मापदंड से नहीं आंका जा सकता, क्योंकि यह केवल एक संगठन नहीं, बल्कि एक विचारधारा है, जो लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला रही है।”
संघ की प्रेरणा से कई संगठन और व्यक्तित्व समाज सेवा में जुटे हुए हैं। शरद ढोले ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब भारत अपनी संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिक शक्ति के बल पर पुनः विश्वगुरु के रूप में स्थापित होगा।
लिमड़ी बाई मीणा का अध्यक्षीय संबोधन – संघ को ईश्वरीय कार्य बताया
वर्ष प्रतिपदा उत्सव की अध्यक्षता देसी जड़ी-बूटी की गुणीजन लिमड़ी बाई मीणा ने की। उन्होंने मेवाड़ी भाषा में भावुक होकर कहा कि यह उनके लिए गर्व का विषय है कि संघ ने उन्हें इतने बड़े मंच पर स्थान दिया।
उन्होंने संघ के कार्य को “ईश्वरीय कार्य” बताते हुए राम मंदिर की जय और भारत माता की जय के उद्घोष के साथ सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं दीं।
संघ के प्रमुख प्रस्ताव और संकल्प
इस अवसर पर अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित प्रस्तावों का वाचन भी किया गया, जिसमें –
- बांग्लादेश के हिंदू समाज के साथ एकजुटता से खड़े रहने का आह्वान
- महारानी अबक्का की 500वीं जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का संकल्प
- विश्व शांति और समृद्धि के लिए संगठित हिंदू समाज के निर्माण का संकल्प शामिल थे।
कार्यक्रम की मुख्य झलकियां
- कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. हेडगेवार और गुरुजी गोलवलकर के चित्रों पर पुष्प अर्पण से हुआ।
- संघ की 100 वर्षों की यात्रा को दर्शाने वाला “शून्य से शतक पथ तक” नामक काव्यगीत प्रस्तुत किया गया।
- संविधान, देवी अहिल्या बाई और जनजातीय नायकों के जीवन पर आधारित प्रदर्शनी भी लगाई गई।
संघ – भारत की सनातन संस्कृति का प्रहरी
संघ के इस विशाल आयोजन ने भारत की सनातन संस्कृति, उसकी परंपरा और राष्ट्रीय भावना को एक नई ऊर्जा प्रदान की।
शरद गजानन ढोले के शब्दों में –
“संघ केवल शाखाओं तक सीमित नहीं, बल्कि यह एक आंदोलन है, जो राष्ट्र की आत्मा को जीवंत कर रहा है।”
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