24 News Update उदयपुर, 10 जुलाई। तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में चल रहे चातुर्मास के अंतर्गत गुरुवार को गुरु पूर्णिमा पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। श्री जैन श्वेतांबर महासभा के तत्वावधान में आयोजित इस धार्मिक समारोह में कच्छवागड़ देशोद्धारक अध्यात्म योगी आचार्य श्रीमद विजय कलापूर्ण सूरीश्वर महाराज के शिष्य गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय कल्पतरु सूरीश्वर महाराज की आज्ञावर्तिनी वात्सल वारिधि साध्वी जीतप्रज्ञा श्रीजी महाराज की शिष्या साध्वी जयदर्शिता श्रीजी, जिनरसा श्रीजी, जिनदर्शिता श्रीजी व जिनमुद्रा श्रीजी सहित साध्वी मंडल विराजमान हैं।
गुरु पूर्णिमा पर आयोजित विशेष धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने “गुरु हमारे मार्गदर्शक” विषय पर प्रवचन देते हुए कहा कि गुरु एक खुशबू है, जिससे सारा जहां महक उठता है। गुरु एक दीपक है, जो हमेशा सही रास्ता दिखाता है। गुरु एक नगमा है, जिसकी गूंज जीवन का एहसास कराती है। गुरु एक छाया है, जो सदा शरण देता है। गुरु एक खुशी है, जो जीवन में आनंद भरता है। गुरु एक मार्ग है, जो सीधे मोक्ष की ओर ले जाता है।
उन्होंने कहा कि गुरु मंत्र हजारों रोगों की औषधि है। इसका सेवन असाध्य रोगों को भी समाप्त कर देता है। दुर्भाग्य से घिरा हुआ व्यक्ति भी जब गुरु की कृपा प्राप्त करता है, तो उसका भाग्य जाग उठता है। गुरु की सेवा और चरणों में समर्पण से भय मिटता है, और इंसान आत्मबल से भर उठता है। सद्गुरु न केवल दोष दूर करते हैं, बल्कि अपने रंग में रंगकर जीवन को उज्ज्वल बना देते हैं। गुरु ही हमारे जीवन का सर्वस्व हैं।
प्रातः 7 बजे आत्मवल्लभ सभागार में आयोजित पूजा-अर्चना कार्यक्रम में अष्ट प्रकार की पूजा, ज्ञान भक्ति, जैन ग्रंथों की पूजा तथा साध्वीवृंद के सान्निध्य में आत्मचिंतन हुआ। गुरु गौतम विषय पर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें श्रावक-श्राविकाओं ने उत्साह से भाग लिया।श्री जैन श्वेतांबर महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि प्रतिदिन 250 से 300 श्रावक-श्राविकाएं चातुर्मासिक प्रवचनों का धर्म लाभ ले रहे हैं।
इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, राजेन्द्र जवेरिया, प्रकाश नागोरी, दिनेश बापना, अभय नलवाया, चतर सिंह पामेच, गोवर्धन सिंह बोल्या, सतीश कच्छारा, दिनेश भण्डारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

