खनन क्षेत्र में ड्रोन तकनीक पर जयपुर में कार्यशाला, लीज धारकों से होगा सीधा संवाद
24 News update जयपुर : राजस्थान में खनन क्षेत्र में ड्रोन तकनीकों के उपयोग और वोल्यूमेट्रिक आकलन को लेकर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला आयोजित की जाएगी। राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, जयपुर में होने वाले इस कार्यक्रम का आयोजन खान विभाग और राजस्थान माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड (RSMML) द्वारा किया जा रहा है। इस दौरान तकनीकी विशेषज्ञ खनिज लीज धारकों से सीधे संवाद कर उन्हें नई तकनीकों की जानकारी देंगे।
1 अप्रैल से अनिवार्य होगा ड्रोन सर्वे
प्रमुख शासन सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम श्री टी. रविकान्त ने बताया कि 1 अप्रैल 2025 से सभी अप्रधान खनिज लीज धारकों को अपने लीज क्षेत्र और उसके 100 मीटर आसपास के क्षेत्र का ड्रोन/एरियल सर्वे कराकर रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने इस नई व्यवस्था को लागू करने से पहले लीज धारकों को राहत देने के लिए एकबारीय समाधान योजना की घोषणा भी की है।
विवादों को खत्म करेगी वोल्यूमेट्रिक असेसमेंट तकनीक
श्री रविकान्त ने बताया कि वोल्यूमेट्रिक आकलन तकनीक से यह स्पष्ट होगा कि खनन लीज धारक द्वारा कितना वैध और अवैध खनन किया गया और क्षेत्र से कितना खनिज रवन्ना जारी किया गया। इस नई तकनीक के कारण भविष्य में लीज धारकों को किसी भी प्रकार के विवाद का सामना नहीं करना पड़ेगा।
कार्यशाला में विशेषज्ञों की मौजूदगी
इस कार्यशाला में ड्रोन निर्माता कंपनियां और विशेषज्ञ प्रजेंटेशन के माध्यम से जानकारी साझा करेंगे।
➡ आइडिया फोर्ज – खनन में ड्रोन सर्वे का अनुप्रयोग
➡ गरुड़ सर्वे – ड्रोन के माध्यम से उत्खनन का वोल्यूमेट्रिक आकलन
➡ MPRSS माइनिंग सॉल्यूशन – खदानों में ड्रोन तकनीक का उपयोग
➡ VS सेफ्टी – खदानों के लिए ड्रोन सर्वे सेवाएं
➡ APSL सॉल्यूशन – उत्खनन में ड्रोन तकनीक
➡ स्फेयर – DGCA ड्रोन सर्वे लाइसेंस प्रक्रिया और दिशा-निर्देश
लीज धारकों के लिए साझा मंच
RSMML के MD श्री भगवती प्रसाद कलाल ने बताया कि राजस्थान में हजारों लीज धारकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है। इस साझा मंच के जरिए खनन क्षेत्र में ड्रोन तकनीकों और नए नियमों की जानकारी दी जाएगी ताकि नई व्यवस्था को आसानी से लागू किया जा सके।
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