24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। राजस्थान के प्रख्यात लोककलाविज्ञ एवं भारतीय लोक कला मंडल, उदयपुर के पूर्व निदेशक डॉ. महेंद्र भानावत अब हमारे बीच नहीं रहे। 87 वर्षीय डॉ. भानावत का बुधवार को उदयपुर में अंतिम संस्कार किया गया, जहां सैंकड़ों लोगों ने उन्हें नम आँखों से विदाई दी। उनकी अंतिम यात्रा में शहर के गणमान्य नागरिक, साहित्यकार, कलाकार, पत्रकार, शिक्षाविद् और समाजसेवी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
परिवार ने निभाई कंधा देने की परंपरा
डॉ. महेंद्र भानावत को उनके बेटों और पौत्रों के साथ उनकी बेटियों और पुत्रवधुओं ने भी कंधा दिया, जो समाज में एक प्रगतिशील संदेश देता है। न्यू भूपालपुरा स्थित उनके निवास आर्ची आर्केड से अंतिम यात्रा गाजे-बाजे के साथ रवाना हुई, जो अशोक नगर मोक्षधाम पहुंचकर संपन्न हुई।

लोक साहित्य के विश्वकोष
लोक साहित्य के मर्मज्ञ डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने उन्हें लोक साहित्य का विश्वकोष बताया। वरिष्ठ गीतकार इकराम राजस्थानी ने कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन लोककला एवं आदिवासी साहित्य के संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया था।
भोपाल के प्रसिद्ध साहित्यकार वसंत निरगुणे ने कहा कि डॉ. भानावत राजस्थान की कला और संस्कृति के सबसे बड़े अध्येता थे, और उनके निधन से एक युग का अंत हो गया है। राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष रमेश बोराणा ने कहा कि उनकी लिखी पुस्तकें और शोध पत्र लोक व आदिवासी जीवन को जानने में आने वाली पीढ़ियों के लिए मील का पत्थर साबित होंगे।
भारतीय लोक नाट्य पर गहरी छाप
वरिष्ठ मीडिया शिक्षक प्रो. संजीव भानावत ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय लोक साहित्य और परंपरा का एक स्वर्णिम अध्याय समाप्त हो गया है। लेखक सैयद हबीब ने कहा कि डॉ. भानावत के बिना अब लोक मंच सूना हो गया है। उन्होंने राजस्थान के पारंपरिक लोक नाट्य जैसे गवरी, भवई, रम्मत, तमाशा, कठपुतली जैसी विधाओं को अपनी लेखनी के माध्यम से अमर बना दिया।
अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
उनकी अंतिम यात्रा में शहर के अनेक गणमान्य लोग शामिल हुए, जिनमें ओसवाल सभा के कुलदीप नाहर, प्रकाश कोठारी, आनंदीलाल बंबोरिया, आलोक पगारिया, राजकुमार फत्तावत, फील्ड क्लब के सचिव उमेश मनवानी, राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, साहित्यकार डॉ. देव कोठारी, डॉ. श्रीकृष्ण जुगूनू, रंगकर्मी विलास जानवे, वरिष्ठ पत्रकार सुमित गोयल, ब्रजमोहन गोयल, डॉ. जेसी देवपुरा, डॉ. के. के. शर्मा, डॉ. धवल शर्मा, आर्ची ग्रुप के ऋषभ भाणावत, डूंगरसिंह कोठारी, राजीव जैन, किरण नागोरी, शांतिलाल मेहता, डॉ. कुंजन आचार्य, तेरापंथ समाज के कमल नाहटा, राजेंद्र नलवाया, अजय सरूपरिया, शैलेष नागदा, दिनेश सुहालका, रमेश सुहालका, हिम्मतसिंह चौहान, खुबीलाल मेनारिया, पंकज कनेरिया, आर्ची आर्केड के उपाध्यक्ष बसंत कुमार जैन, शिशिर वया, शांतिलाल नागौरी, कन्हैयालाल नलवाया, धर्मचंद्र नागौरी, विनय भाणावत, विनय सिंह कुशवाह, कवि प्रकाश नागौरी, उदयपुर मार्बल एसोसिएशन के रोबिन सिंह आदि शामिल हुए।

शाम को महाप्रज्ञ विहार में शोकसभा
शाम को महाप्रज्ञ विहार में एक शोकसभा आयोजित की गई, जिसमें शहरवासियों ने पुष्पांजलि अर्पित कर दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी। इसमें उदयपुर और अन्य शहरों से आए उनके मित्रगण, रिश्तेदार, प्रशंसक व शिष्यगण शामिल हुए। इस अवसर पर मावली के पूर्व विधायक धर्मनारायण जोशी, भाजपा नेता प्रमोद सामर, दलपत सुराणा, रजनी डांगी, अमित शर्मा, त्रिलोक पूर्बिया, करण जारोली, सुरेश गोयल, अनिल कटारिया आदि ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम का संचालन आलोक पगारिया ने किया और पौत्र अर्थांक भानावत ने अपने दादा की स्मृतियों को साझा किया।





लोककला के अमर प्रहरी
डॉ. महेंद्र भानावत का योगदान लोक संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में अविस्मरणीय रहेगा। उन्होंने अपनी लेखनी और शोध कार्यों के माध्यम से लोक नाट्य, लोकगाथाओं, कठपुतली कला, आदिवासी परंपराओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनका जाना लोक संस्कृति की एक अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनके विचार, लेखन और योगदान उन्हें अमर बनाए रखेंगे।
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