Site icon 24 News Update

आनंद पटवर्धन को डा. असगर अली इंजीनियर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड

Advertisements

24 News Update उदयपुर। शहर के महाराणा कुंभा संगीत सभागार में 10 दिसंबर की शाम आयोजित छठे डा. असगर अली इंजीनियर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड समारोह में इस वर्ष का प्रतिष्ठित सम्मान सुप्रीम कोर्ट से जुड़े ख्यातनाम फिल्मकार और प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता आनंद पटवर्धन को प्रदान किया गया।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के चेयरमैन कमांडर मंसूर अली बोहरा ने बताया कि यह पुरस्कार प्रतिवर्ष उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने समाज सेवा, मानवाधिकार संरक्षण, सामाजिक न्याय और साम्प्रदायिक सद्भाव के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान दिया हो। इससे पूर्व यह सम्मान इंदिरा जयसिंह, के पी रमानुन्नी, जस्टिस होस्बेट सुरेश, अब्दुस सत्तार दलवी और डा. फलेविया एग्निस को प्रदान किया जा चुका है।

आनंद पटवर्धन का रचनात्मक सफर

सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसायटी एंड सेक्युलरिज्म के निदेशक इरफान इंजीनियर ने बताया कि 18 फरवरी 1950 को मुंबई में जन्मे आनंद पटवर्धन सार्थक और सामाजिक सरोकारों से जुड़े सिनेमा के प्रतिनिधि चेहरे माने जाते हैं। 1971 में क्रांति की तरंगे नामक पहली फिल्म से शुरुआत करते हुए उन्होंने हमारा शहर, राम के नाम, पिता पुत्र और धर्मयुद्ध, जय भीम कामरेड और द वर्ल्ड इज फेमिली जैसी प्रभावी फिल्मों का निर्माण किया। उनकी फिल्मों में दलित, वंचित और हाशिये पर खड़े समुदायों के मुद्दों को मुखर तरीके से उठाया गया है।
फिल्मों के कारण उन्हें कई कानूनी लड़ाइयों और प्रतिबंधों का सामना भी करना पड़ा, लेकिन उनका काम बदस्तूर जारी रहा।

पुरस्कार स्वीकार करते समय कही भावुक बातें

पुरस्कार ग्रहण करते हुए आनंद पटवर्धन ने कहा कि सम्मान की सूचना मिलने पर गर्व महसूस हुआ, लेकिन वे झिझक भी रहे थे, क्योंकि देश में अनेक ऐसे कार्यकर्ता हैं जो इस सम्मान के अधिक हकदार हैं। उन्होंने बताया कि यह सम्मान उन्होंने केवल इसलिए स्वीकार किया क्योंकि डा. असगर अली इंजीनियर के प्रति उनके मन में गहरा आदर है।
पटवर्धन ने कहा कि डा. इंजीनियर भारत में साम्प्रदायिक सौहार्द के बड़े योद्धा, इस्लामिक स्कॉलर और अपने समुदाय के सुधारवादी नेता थे। वे युवा साथियों के लिए मार्गदर्शक, विनम्र और अत्यंत मानवीय स्वभाव वाले व्यक्ति थे।
उन्होंने कहा कि डा. इंजीनियर ने अपने जीवन में कई जानलेवा हमले झेले, लेकिन उनके काम की रोशनी आज भी दिखाई देती है। उन्होंने वर्तमान भारत की चुनौतियों पर भी चिंता जताई और कहा कि 1992-93 के दौर की तुलना में आज साम्प्रदायिकता और सूचना के दुरुपयोग की स्थिति कहीं अधिक गंभीर हो चुकी है।

पटवर्धन ने स्पष्ट किया कि वे किसी धर्म या जाति की बात नहीं कर रहे, बल्कि उन सभी लोगों की बात कर रहे हैं जिन्होंने अभी तक स्वतंत्र सोचने की क्षमता नहीं खोई है। उन्होंने कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है और हमें एक परिवार की तरह एक-दूसरे की रक्षा और देखभाल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वे लंबे भाषण देने वाले वक्ता नहीं, बल्कि एक दस्तावेज़ी फिल्मकार हैं और अपनी बात फिल्मों के माध्यम से कहना पसंद करते हैं।

समारोह में डा. असगर अली इंजीनियर को श्रद्धांजलि

कार्यक्रम की शुरुआत तिलावत-ए-कुरआन से हुई। इसके बाद इरफान इंजीनियर ने डा. असगर अली इंजीनियर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनकी पहचान केवल बोहरा समाज के सुधारवादी नेता के रूप में नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर इस्लामिक स्कॉलर और धर्मनिरपेक्षता के प्रखर लेखक के रूप में भी रही है। उन्होंने कुल 78 पुस्तकें लिखीं और उनके लेख प्रतिष्ठित अखबारों में नियमित छपते रहे।

उदयपुर फिल्म सोसाइटी के संस्थापक प्रोफेसर हेमेंद्र चंडालिया ने आनंद पटवर्धन के कार्यों का विस्तृत परिचय दिया और घोषणा की कि अगला फिल्म फेस्टिवल उनके काम पर केंद्रित होगा। उन्होंने कहा कि हम अंधेरे समय में रह रहे हैं, लेकिन उम्मीद की रोशनी जलती रहनी चाहिए। कार्यक्रम का संचालन नासिर जावेद ने किया और धन्यवाद ज्ञापन कमांडर मंसूर अली बोहरा ने किया। समारोह में आबिद अदीब, यूनुस बालू वाला, इक़बाल हुसैन रसा वाला, फिरोज हुसैन टीनवाला, युसूफ आरजी सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों, मानवाधिकार समूहों, फिल्म सोसाइटीज और जन आंदोलनों से जुड़े प्रतिनिधि उपस्थित थे।

Exit mobile version