24 News Update उदयपुर. नगर निगम अब इस बात के लिए बदनाम हो चुकी है कि यहां के अफसर और कर्मचारी अपनी फुर्सत और मनमर्जी से अतिक्रमण की कार्रवाइयों को अंजाम देते हैं। अफसर और कर्मचारी पहले तो अवैध निर्माण होते हुए चुपचाप देखते रहते हैं। या साफ साफ कहें तो सेटिंग करने का खेल खेलते रहते हैं जो कि बिना लेन देन के संभव ही नहीं है। उसके बाद जब भवन खड़ा हो जाता है। लाखों का खर्चा हो चुका होता है, तब अचानक अपने समय और अपनी फुर्सत के अनुसार आ धमकते हैं व भवन या प्रतिष्ठान को जब्त कर देते हैं। इसमें भी या तो किसी का दबाव होता है या फिर किसी का प्रभाव। बीच-बीच में नोटिस नोटिस का खेल खेलते हैं ताकि कानूनी रूप से जवाब देने में आसानी हो सके। उदयपुर की नजता नगर निगम के कर्मचारियों व अफसरों को अपने टेक्स के पैसों से तनख्वाह ही इसी बात की दे रही है कि अवैध निर्माण नहीं होने देना है। अगर इतने बड़े भवन खड़े हो जाएं व उनको सीज किया जाए तो उन पर उंगली उठना लाजमी है। जब ये निर्माण हो रहा था तब अफसर व कर्मचारी किस गहरी नींद में सो रहे थे। अगर तब आंख बद कर ली थी तो आज उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। उनके वेतन से इस कार्रवाई का पूरा खर्चा वासूला जाना चाहिए और नियमानुसार सस्पेशन व टर्मिनेशन होने चाहिए। अगर उदयपुर को अतिक्रमण मुक्त करना है तो कार्रवाई सख्ती से व समय रहते करनी होगी, ऐसी नौटंकी से काम चलने वाला नहीं है।
मंगलवार को गोवर्धन विलास क्षेत्र में बिना स्वीकृति बनाए गए भवन को निगम ने सीज किया। नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, मोहित कार डेकोर के पास स्थित भवन का निर्माण बिना किसी अनुमति के किया गया था। इस संबंध में मकान मालिक को निगम की ओर से 6 अगस्त और 4 सितंबर को नोटिस जारी किए गए थे। नोटिस के जवाब में मालिक ने अपना पक्ष प्रस्तुत किया, लेकिन जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया।
उसके बाद शायद निगम के अफसर दीपावली मनाने चले गए और अब कार्रवाई की है। वैसे आपको याद दिला दें कि इस बार भी और पिछले साल निगम ने त्योहारों के मौके पर एक बड़ी कार्रवाई की थी। ऐसे में मैन पावर या अन्य सपोर्ट की कमी का बहाना अब मजाक और झांसे जैसा दिखाई देता है। नगर निगम अधिकारियों के इस रवैये की शहर में आलोचना की जा रही है। होना तो यह चाहिए कि कार्रवाई का ऐसा खौफ हो कि एक ईंट भी कोई बिना परमिशन के ना रख पाएं। लेकिन यहां तो अफसर नेताओं व जन प्रतिनिधियों की चरण वंदना में लगे रहते हैं और पीछे बड़े बड़े निर्माण हो जाते हैं।
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