24 न्यूज अपडेट, भीलवाड़ा। जहाजपुर के कीर मोहल्ला में एक दुर्लभ जेनेटिक डिसऑर्डर से ग्रस्त नवजात बच्ची का जन्म हुआ है, जिसने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। नवजात का सिर शरीर की तुलना में बड़ा है, और चेहरा विकृत है, जिसमें आंखें, नाक और मुंह पूरी तरह विकसित नहीं हो पाए हैं। यह स्थिति ’कोलोडियल बेबी सिंड्रोम’ के रूप में जानी जाती है, जो एक गंभीर और दुर्लभ जेनेटिक डिसऑर्डर है।
पहली बेटी स्वस्थ, यह दूसरी संतान
मिली जानकारी के अनुसार, यह बच्ची अर्जुन लाल (26) और पिंकी (25) की दूसरी संतान है। पिंकी की पहली बेटी पूरी तरह स्वस्थ है, जो वर्तमान में दो वर्ष की है। परिवार की पिंकी की सास कैलाशी ने बताया कि 30 साल पहले उनके साथ भी ऐसा ही एक मामला हुआ था, जब उनका एक नवजात इसी तरह की स्थिति में जन्मा था, लेकिन वह कुछ ही समय जीवित रह पाया था।
रेयर जेनेटिक डिसऑर्डर
जहाजपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर रोहिताश मीणा ने बताया कि यह एक ’रेयर जेनेटिक डिसऑर्डर’ है, जिसे ’कोलोडियल बेबी सिंड्रोम’ कहा जाता है। इस स्थिति में बच्चों की त्वचा असामान्य रूप से सूखी होती है, आंखें पूरी तरह विकसित नहीं हो पातीं और हृदय जैसी महत्वपूर्ण अंगों में भी विकार हो सकता है। यह स्थिति अक्सर जन्म से पहले ही गर्भ में विकसित होती है और ऐसे बच्चों के जीवित रहने की संभावना केवल 10 प्रतिशत तक होती है।
कोलोडियल बेबी सिंड्रोम-कारण और संभावनाएं
कोलोडियल बेबी सिंड्रोम एक अत्यंत दुर्लभ स्थिति है, जो लगभग 2 लाख जन्मों में से 1 में पाई जाती है। इस स्थिति के मूल कारणों में माता-पिता में आनुवंशिक उत्परिवर्तन, पारिवारिक इतिहास और कुछ विशेष जीन संबंधी दोष शामिल होते हैं। समय पर प्रसवपूर्व जांच और जेनेटिक काउंसलिंग इस तरह की स्थितियों को पहचानने में सहायक हो सकती है, लेकिन ग्रामीण और संसाधनविहीन क्षेत्रों में यह संभव नहीं हो पाता। इस तरह के मामलों में चिकित्सकों का कहना है कि बेहतर मेडिकल सुविधा और समय पर जांच से ऐसे मामलों को रोका जा सकता है। हालांकि, आज भी कोई निश्चित इलाज नहीं है और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।
भीलवाड़ा में दुर्लभ जेनेटिक डिसऑर्डर से ग्रस्त नवजात का जन्मः परिवार में 30 साल बाद फिर दोहराई गई त्रासदी

Advertisements
