- पूरी योजना के साथ किया गया था पति का कत्ल, पुलिस ने 24 घंटों में सुलझाया जटिल केस, पत्नी और जीजा गिरफ्तार
24 News Update जयपुर । अक्सर फिल्मों में देखने को मिलता है कि पुलिस किसी जटिल केस को 24 घंटे में सुलझा लेती है, लेकिन हकीकत में ऐसा कर पाना एक बड़ी चुनौती है। भिवाड़ी पुलिस ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए एक ब्लाइंड मर्डर केस को महज एक दिन के अंदर सुलझाकर बड़ी मिसाल पेश की है। संतरा कॉलोनी, सांथलका में हुई इस सनसनीखेज वारदात में पुलिस ने मृतक की पत्नी बॉबी राय और उसके जीजा अनुज चौधरी को गिरफ्तार किया है।
एसपी प्रशांत किरण ने बताया कि यह मामला गुरुवार 20 अगस्त को तब सामने आया जब एक किरायेदार राजपाल ने पुलिस को सूचना दी। उन्होंने बताया कि उनके किरायेदार गुड्डू राय का कमरा बाहर से बंद था। जब उन्होंने खिड़की से झाँका तो गुड्डू संदिग्ध हालत में पड़ा था। पुलिस तुरंत मौके पर पहुँची और ताला तोड़कर कमरे में दाखिल हुई। अंदर गुड्डू राय मृत अवस्था में मिले, उनके चेहरे और गले पर गंभीर चोट के निशान थे।
राजपाल ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस को बताया कि गुड्डू और उसकी पत्नी बॉबी ने 1 अगस्त, 2025 को ही यह मकान किराए पर लिया था, यानी यह जोड़ा केवल 20 दिन से ही इस घर में रह रहा था। उन्होंने बताया कि पति-पत्नी के बीच अक्सर झगड़े होते थे और घटना के बाद से बॉबी अपने जीजा अनुज चौधरी के साथ गायब थी। इन दोनों पर संदेह गहराया और पुलिस ने तुरंत जाँच शुरू कर दी।
पुलिस अधीक्षक प्रशांत किरण और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अतुल शाहू के निर्देश पर थानाधिकारी सत्यनारायण के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया। इस टीम ने पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरीकों से जाँच को आगे बढ़ाया।
पुलिस ने मोबाइल फोन के कॉल रिकॉर्ड और लोकेशन डेटा की जाँच की। इलाके के सभी सीसीटीवी कैमरों को खंगाला गया, जिसमें बॉबी और अनुज की संदिग्ध गतिविधियाँ कैद हुईं। इसके साथ पुलिस ने अपने मुखबिरों को सक्रिय किया, जिनसे अहम सुराग मिले।
इन सभी प्रयासों के बाद पुलिस ने बॉबी राय (40) और अनुज चौधरी पुत्र मोहन चौधरी (64) निवासी भागलपुर बिहार हाल संतरा कॉलोनी सांथलका थाना भिवाड़ी फेज तृतीय को दबोच लिया। गहन पूछताछ में दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। उन्होंने बताया कि आपसी झगड़ों और संबंधों की वजह से उन्होंने गुड्डू की हत्या की साजिश रची थी।
इस ऑपरेशन की सफलता में पुलिस टीम के कई सदस्यों का योगदान रहा। विशेष रूप से हेड कांस्टेबल मुकेश कुमार और अजीत सिंह की भूमिका सराहनीय रही। उनकी सूझबूझ और मेहनत ने इस जटिल केस को 24 घंटे के अंदर सुलझाने में मदद की।
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