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आदिवासी जिलों में 1800 करोड़ रुपए का बैंक फर्जीवाड़ा उजागर, सांसद ने DGP को लिखा पत्र

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24 News Update डूंगरपुर/उदयपुर। राजस्थान के आदिवासी जिलों में भोले-भाले लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर एक बड़ा बैंकिंग फर्जीवाड़ा सामने आया है। कुछ बैंकों के कर्मचारियों ने आदिवासी समाज के लोगों से आधार कार्ड, फोटो और दस्तखत लेकर उनके नाम से खाते खोल दिए। खास बात यह रही कि जिन लोगों के नाम से खाता खोला गया, उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं थी। पिछले दिनों डूंगरपुर में इसी तरह के एक खाते से 82 लाख रुपए के संदिग्ध ट्रांजैक्शन के बाद दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद बड़ी संख्या में पीड़ित लोग सामने आए। अब बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने डीजीपी को पत्र लिखकर दावा किया है कि यह घोटाला करीब 1800 करोड़ रुपए का है और सैकड़ों फर्जी खाते बनाए गए हैं।

साइबर ठगों को बेचे जाते थे फर्जी खाते
डूंगरपुर साइबर थाने की जांच में सामने आया है कि जिन लोगों के नाम पर खाते खोले गए, उनकी डिटेल साइबर ठगी करने वाले गिरोह को बेची जाती थी। इसके एवज में बैंक कर्मचारियों और दलालों को मोटा कमीशन मिलता था। इन खातों का उपयोग ऑनलाइन ठगी की रकम के ट्रांजैक्शन के लिए किया जाता था। फर्जी लेन-देन के चलते खाता फ्रीज होने पर पीड़ितों को इस ठगी का पता चलता था।

5 जिलों में फैला है जाल
सांसद राजकुमार रोत ने बताया कि यह फर्जीवाड़ा डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, सलूम्बर और उदयपुर में फैला है। डूंगरपुर में इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत उजागर हुई है। ये कर्मचारी कॉलेजों और गांवों में जाकर लोगों को फ्री पैन कार्ड, छात्रवृत्ति और सरकारी योजनाओं का झांसा देकर दस्तावेज इकट्ठा करते थे।

खाते खुलवाए, एटीएम-चेक बुक अपने पास रखे
आरोपियों की योजना के तहत भोलेभाले ग्रामीणों और छात्रों के नाम पर खाता खुलवाकर उसकी बैंक डायरी, एटीएम कार्ड और चेक बुक अपने पास रख ली जाती थी। इन खातों को बाद में साइबर ठगों को बेच दिया जाता था। जब छात्रों ने अपने एटीएम कार्ड मांगे, तो बैंक कर्मियों ने तकनीकी कारणों का हवाला देकर टालमटोल शुरू कर दी।

लालशंकर की रिपोर्ट से खुला राज
बथड़ी निवासी लालशंकर रोत ने 19 जून को साइबर थाने में रिपोर्ट दी थी। आरोप था कि कुछ लोगों ने फ्री पैन कार्ड दिलाने के बहाने उसके नाम पर खाता खुलवाया और दस्तावेज लेकर चले गए। बाद में बैंक जाकर पता चला कि उसके खाते से 82 लाख रुपए का लेन-देन हुआ है।

साइबर ठग गिरोह का खुलासा
पुलिस ने जांच कर महावीर सिंह और विक्रम मालीवाड़ को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उन्होंने बताया कि इन खातों को साइबर ठग गिरोह को बेचा जाता था। गिरोह इन खातों का उपयोग ठगी की रकम ट्रांसफर करने में करता था।

सांसद ने की कार्रवाई की मांग
सांसद रोत ने डीजीपी को भेजे पत्र में कहा कि यह गंभीर मामला है। पुलिस असली अपराधियों पर कार्रवाई करने के बजाय पीड़ितों को परेशान कर रही है। उन्होंने उच्च स्तरीय जांच और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की है। साथ ही कहा कि आदिवासी समाज के गरीब परिवारों के साथ अन्याय हो रहा है।

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