24 News update नई दिल्ली। “ये सिर्फ एक वीडियो नहीं, बल्कि अदालत की आत्मा को झकझोर देने वाला बयान था” — दिल्ली हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव को शरबत ‘जिहाद’ वाले बयान पर जमकर लताड़ लगाई। अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि यह बयान ‘माफी लायक नहीं है’, और आगे ऐसे विचार ‘अपने दिमाग तक सीमित रखें, सार्वजनिक ना करें’। कोर्ट की सख्ती के बाद बाबा रामदेव ने पीछे हटते हुए सभी विवादित वीडियो हटाने का आश्वासन दिया और एफिडेविट दाखिल करने को कहा गया।
‘शरबत जिहाद’ से ‘माफी’ तक पहुंची कहानी
3 अप्रैल को पतंजलि शरबत की लॉन्चिंग के दौरान बाबा रामदेव ने कहा था कि एक कंपनी शरबत बनाती है और उससे कमाई का पैसा मस्जिदों और मदरसों के निर्माण में लगाया जाता है। उन्होंने इसे ‘शरबत जिहाद’ की संज्ञा दी, और दावा किया कि जैसे ‘लव जिहाद’ और ‘वोट जिहाद’ चल रहे हैं, वैसे ही अब ‘शरबत जिहाद’ भी चल रहा है।
बयान सामने आते ही बवाल मच गया। रूह अफजा बनाने वाली कंपनी हमदर्द ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और आरोप लगाया कि यह “धार्मिक विद्वेष फैलाने वाली बयानबाज़ी है जो ब्रांड की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रही है”। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने इसे “स्पष्ट रूप से हेट स्पीच” करार दिया।
कोर्ट ने क्या कहा?
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अमित बंसल ने कहा —
“यह बयान माफी के लायक नहीं है। इसने हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया है। ऐसे विचार अपने तक सीमित रखें, समाज में ज़हर घोलने से बचें।”
पतंजलि की ओर से पेश वकील राजीव नायर ने जवाब में कहा कि “रामदेव सभी विवादित वीडियो हटाने को तैयार हैं।” इस पर अदालत ने निर्देश दिया कि बाबा रामदेव लिखित रूप से हलफनामा दें कि भविष्य में ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी।
रामदेव ने फिर भी दोहराया- ‘जिहाद तो है ही’
12 अप्रैल को बाबा रामदेव ने एक और वीडियो में कहा—
“मैंने वीडियो डाला तो सबको मिर्ची लग गई। मुझ पर हजारों वीडियो बन गए। कहा गया मैंने शरबत जिहाद का शिगूफा छोड़ा। अरे, मैंने क्या छोड़ा, ये तो है ही।”
इस बयान से साफ था कि कोर्ट की फटकार के बावजूद रामदेव अपने कथन से पूरी तरह पलटने को तैयार नहीं थे। हालांकि अदालत की सख्ती के बाद उन्होंने अपना रुख नरम किया।
शहाबुद्दीन बरेलवी का व्यंग्य: “तो फिर योग जिहाद भी मान लें?”
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने तीखा पलटवार करते हुए कहा—
“अगर रामदेव को ‘जिहाद’ शब्द से इतना प्यार है तो क्या हम कहें कि वे ‘योग जिहाद’, ‘गुरु जिहाद’, ‘पतंजलि जिहाद’ चला रहे हैं?”
न्यायपालिका का संदेश: धर्म के नाम पर मार्केटिंग नहीं चलेगी
दिल्ली हाईकोर्ट की इस सख्ती ने स्पष्ट कर दिया कि धर्म के नाम पर उत्पाद की मार्केटिंग या नफरत फैलाने की छूट नहीं दी जा सकती। बाबा रामदेव भले ही योगगुरु और ब्रांड आइकन हों, लेकिन कानून से ऊपर कोई नहीं।
अब आगे क्या?
रामदेव को अब कोर्ट में शपथपत्र दाखिल कर यह स्पष्ट करना होगा कि वे भविष्य में इस तरह के बयान नहीं देंगे।
यह मामला न सिर्फ विज्ञापन की नैतिकता, बल्कि धार्मिक सहिष्णुता और सोशल मीडिया पर जिम्मेदार अभिव्यक्ति का भी एक अहम उदाहरण बन गया है।
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