24 News update national desk नेपाल के उत्तर-पूर्वी हिस्से में यालुंग री नामक पर्वत पर सोमवार सुबह बड़ा हादसा हुआ। 5,630 मीटर ऊंची इस चोटी के बेस कैंप पर हिमस्खलन आने से 7 पर्वतारोहियों की मौत हो गई, जबकि 4 घायल हैं और 4 अब भी लापता बताए जा रहे हैं। मृतकों में 3 अमेरिकी, 1 कनाडाई, 1 इतालवी और 2 नेपाली नागरिक शामिल हैं।
डोलखा जिले की पुलिस के अनुसार, हादसे के वक्त 15 सदस्यीय टीम गौरीशंकर और यालुंग री की ओर बढ़ रही थी, तभी अचानक एवलॉन्च ने बेस कैंप को अपनी चपेट में ले लिया।
रेस्क्यू में देरी का कारण बना खराब मौसम
स्थानीय वार्ड अध्यक्ष निंगगेली शेरपा ने बताया कि सुबह से ही प्रशासन को मदद के लिए सूचित किया गया, लेकिन रोलवालिंग क्षेत्र प्रतिबंधित जोन होने के कारण हेलिकॉप्टर की उड़ान अनुमति देर से मिली। इसके चलते रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी हुई। नेपाल आर्मी, पुलिस और आर्म्ड फोर्स की टीमें खोज अभियान में जुटी हैं, लेकिन मौसम खराब होने से बचाव कार्य प्रभावित हुआ है।
खास परमिट के बिना ट्रैकिंग संभव नहीं
नेपाल-चीन सीमा के पास स्थित यालुंग री को अत्यंत तकनीकी और खतरनाक ट्रैकिंग ज़ोन माना जाता है। यहां विदेशी पर्यटकों को विशेष परमिट लेना अनिवार्य होता है। 2000 तक यह क्षेत्र धार्मिक कारणों से प्रतिबंधित था।
हिमस्खलन क्या होता है?
हिमस्खलन या एवलांच वह प्रक्रिया है जब बर्फ, चट्टान या मिट्टी का बड़ा हिस्सा अचानक ढलान से नीचे की ओर फिसलता है। यह आमतौर पर तब होता है जब बर्फ की परतें कमजोर पड़ जाती हैं या उन पर नया भार बढ़ जाता है।
मुख्य प्रकार:
- चट्टानी हिमस्खलन – भारी चट्टानों के साथ होता है।
- बर्फीला हिमस्खलन – बर्फ के टुकड़ों या पाउडर के रूप में।
- मलबा हिमस्खलन – पत्थर, मिट्टी और अन्य सामग्री के साथ।
एक बड़ा हिमस्खलन 1 करोड़ किलो तक वजनी हो सकता है और 120 से 320 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से नीचे गिरता है। अधिकांश घटनाएं दिसंबर से अप्रैल के बीच होती हैं।
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