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मेवाड़ में आचार्य महाश्रमण का ऐतिहासिक स्वागत, हजारों श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति, मेवाड़ कांफ्रेंस ने चातुर्मास की रखी विनती

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उदयपुर, 20 नवम्बर। श्री मेवाड़ जैन श्वेतांबर तेरापंथी कांफ्रेंस के तत्वावधान में केसरियाजी में तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण का भव्य मेवाड़ स्तरीय स्वागत समारोह आयोजित हुआ। प्रदेशभर से आए हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने आचार्य का भावपूर्ण स्वागत कर आध्यात्मिक वातावरण को अनुपम बना दिया।

मेवाड़ कांफ्रेंस की भावुक विनती – मेवाड़ में चातुर्मास करने का आग्रह

कांफ्रेंस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि 42 वर्ष बाद किसी तेरापंथ आचार्य का केसरियाजी आगमन हुआ है। इस अवसर पर मेवाड़ कांफ्रेंस ने आचार्य महाश्रमण से विनती की कि वे भविष्य में मेवाड़ के किसी भी क्षेत्र में चातुर्मास का वरण करें।
आचार्य महाश्रमण 21 नवम्बर को धवल वाहिनी सहित परसाद के लिए विहार करेंगे।

धर्मसभा में आचार्य का संदेश: “मैन बनने के साथ गुडमैन बनना आवश्यक”

विहार पश्चात अमृत देशना देते हुए आचार्य महाश्रमण ने कहा—

उन्होंने कहा कि बाहर देखने के साथ व्यक्ति को अपने भीतर भी झांकना चाहिए। मेवाड़ और तेरापंथ का संबंध ऐतिहासिक और अटूट है।

साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभा का संदेश

साध्वी प्रमुखा ने कहा कि जिन दर्शन में सम्यक दर्शन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। सम्यकत्व से व्यक्ति की दृष्टि निर्मल होती है और वह सकारात्मक ज्ञान प्राप्त कर सकता है।

मुख्य अतिथियों के उद्बोधन

समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के सहकारिता मंत्री गौतम दक ने कहा—
“निज पर शासन और अनुशासन का सूत्र मैंने बचपन से सीखा है। जैन समाज की गूंज आज विश्वभर में है।”

उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन, उद्योगपति प्रवीण ओस्तवाल, पंकज ओस्तवाल, गजेन्द्र भंसाली, राज लोढ़ा सहित अनेक अतिथियों ने आचार्य महाश्रमण के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।

विस्तृत सम्मान और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री गौतम दक, विधायक ताराचंद जैन, प्रवीण ओस्तवाल, आबकारी विभाग के अतिरिक्त आयुक्त ओ.पी. जैन सहित अनेक गणमान्य अतिथियों का साहित्य समर्पण, उपरना और स्मृति चिन्ह से सम्मान किया गया।
केलवा के जागृत कोठारी ने मेवाड़ यात्रा गीत प्रस्तुत किया, तथा महिला मंडल ने स्वागत गीत गाया। समापन में मंगल पाठ का श्रवण करवाया गया।

मार्ग सेवा में सक्रिय श्रावक समाज

मार्ग सेवा में किशनलाल डागलिया, राजकुमार फत्तावत, भूपेंद्र चोरडिया, बलवंत रांका, कमलेश कच्छारा, ज्ञान बडोला, हर्ष नवलखा, अनिल बडोला, अंकित परमार, जय पोरवाल, विक्रम पगारिया, अक्षत पोरवाल सहित अनेक कार्यकर्ता सक्रिय रहे।

भव्य स्वागत, अनुशासित व्यवस्था और आध्यात्मिक वातावरण के साथ केसरियाजी में आयोजित यह समारोह मेवाड़ के जैन समाज के लिए अविस्मरणीय बन गया।

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