मालदास स्ट्रीट आराधना भवन में 45 आगम तप की महामंगलकारी आराधना चल रही

24 News Update उदयपुर, 14 जुलाई। मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में सोमवार को विविध आयोजन हुए । श्रीसंघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि आराधना भवन में चातुर्मासिक प्रवचन हेतु “श्री योगशास्त्र ग्रंथ” डाँ. शैलेन्द्र हिरण, नरेन्द्रजी सिंघवी, भोपाल सिंघवी एवं हेमंत सिंघवी तथा “भगवान महावीरस्वामी पट्ट्धर परंपरा ग्रंथ” प्रकाश रणजीत मेहता, राजेश जावरिया ने जैनाचार्यश्री को अर्पण किए।
श्रीसंघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि रविवार को मालदास स्ट्रीट के नूतन आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेनसूरीश्वर ने प्रवचन देते हुए कहा कि पानी की बुंद तो सर्वत्र एक समान होती है, परंतु पात्र के भेद से उसके अस्तित्व में भेद पड़ता है। पानी की एक बुंद जब तपे हुए लोहे के तवे पर गिरती है तब वह जलकर हवा में उड़ जाती है। वहीं बुंद यदि पर्वत पर गिरे तो योंही व्यर्थ चली जाती है। वहीं बंद यदि खेत में गिरती है तो वह सिंचाई में काम लगती है और वही पानी की बूंद सागर में मिलती है तो वह अक्षय बन जाती है। गुरु की कृपा भी सभी शिष्यों के प्रति समान होती है परंतु योग्यता के अनुसार शिष्य को उसका लाभ होता है। जो शिष्य गुरु के प्रति समर्पित रहता है उसे गुरु के द्वारा प्राप्त हुई सभी सिध्दियाँ प्राप्त हो जाती है।
भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के लगभग 1600 वर्ष के बाद और वर्तमान की अपेक्षा लगभग 900 वर्ष पूर्व जैन धर्म की प्रभावना करने वाले आचार्य श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. हुए। मात्र 9 वर्ष की उम्र में दीक्षा लेकर 84 वर्ष की उम्र तक जीवित रहे उन्होंने अपने जीवन में साढे तीन करोड श्लोक प्रमाण संस्कृत-प्राकृत ग्रंथों की रचना की है। उन्होंने अपने जीवन में गुजरात के दो-दो राजा, सिद्धराज जयसिंह और कुमारपाल राजा को प्रतिबोध करके जैन धर्म की सर्वश्रेष्ठ प्रभावना की थी। गुरु की कृपा को पाकर कुमारपाल राजा को जैन धर्म के आचार्यों को समझाने के लिए योग शास्त्र ग्रंथ की रचना की थी। कुमारपाल राजा ने धर्म के आचारों को जानकर 18 देशों में अहिंसा धर्म का पालन करवाया था।
अध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्र हिरण ने बताया कि 20 जुलाई को जैनाचार्य द्वारा संपादित “सिद्ध हेमचन्द्र शब्दानुशासनम्” भाग 1 से 4 का भव्य विमोचन एवं नमो श्रुतज्ञानं-नमो श्रुतज्ञानी का संगीतमय कार्यक्रम होगा। प्रतिदिन प्रात: 9.30 बजे प्रवचन होगे। इस अवसर पर कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया, अध्यक्ष डॉ.शैलेन्द्र हिरण, नरेंद्र सिंघवी, हेमंत सिंघवी, भोपालसिंह सिंघवी आदि मौजूद रहे।
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