24 News Update उदयपुर। प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर द्वारा आयोजित 15 दिवसीय खुदरा उर्वरक विक्रेता प्राधिकार-पत्र प्रशिक्षण का सफल समापन 29 दिसंबर 2025 को हुआ। यह प्रशिक्षण 15 दिसंबर से 29 दिसंबर 2025 तक आयोजित किया गया, जिसमें राज्य के विभिन्न जिलों से आए कुल 45 खुदरा उर्वरक विक्रेताओं ने भाग लिया।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. आई.जे. माथुर, पूर्व निदेशक, प्रसार शिक्षा निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर रहे। अपने उद्बोधन में डॉ. माथुर ने प्रशिक्षणार्थियों से आह्वान किया कि वे ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपने व्यवसाय का संचालन करें तथा किसानों को सही तकनीकी सुझाव देकर बदलाव अभिकर्ता की भूमिका निभाएं।
उन्होंने कस्टमाइज्ड उर्वरक, संतुलित उर्वरक उपयोग एवं समन्वित उर्वरक प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए नैनो फर्टिलाइजर एवं जल में घुलनशील उर्वरकों की उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही कृषि के छह प्रमुख आयाम— मिट्टी, पानी, बीज, औजार, वातावरण और किसान—को रेखांकित करते हुए कहा कि किसान सर्वोपरि है और उर्वरक विक्रेताओं को उसी को केंद्र में रखकर अपनी तैयारी करनी चाहिए। अध्यक्षता करते हुए डॉ. आर.एल. सोनी, निदेशक, प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर ने सफल व्यवसाय संचालन के गुर बताए। उन्होंने कहा कि उर्वरक विक्रेताओं को किसानों के साथ मधुर व्यवहार, विश्वासपूर्ण संबंध और उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। विशिष्ट अतिथि डॉ. एम.सी. गोयल, निदेशक आवसीय निर्देशन, कृषि विश्वविद्यालय, कोटा ने कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उर्वरक विक्रेताओं को किसानों से सीधा संवाद स्थापित कर उन्हें नवीनतम एवं आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके। उन्होंने ‘छः जे’ सिद्धांत—जल, जंगल, जमीन, जन, जीवन और जागरूकता—की अवधारणा को भी विस्तार से समझाया।
प्रशिक्षण के समन्वयक एवं आचार्य डॉ. योगेश कनोजिया ने संतुलित उर्वरक उपयोग, मृदा परीक्षण, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, पोषक तत्व प्रबंधन, समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन, जैविक एवं कार्बनिक खेती के लाभों पर प्रशिक्षणार्थियों को जानकारी दी।
समापन अवसर पर प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। प्रशिक्षण के दौरान सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक जानकारियां विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों एवं राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा दी गईं।
यह जानकारी डॉ. जी.एल. मीना, मीडिया प्रकोष्ठ एवं जनसंपर्क अधिकारी, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा दी गई।
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