उदयपुर। पारस हॉस्पिटल में 28 हफ्ते में (प्रीटर्म) जन्मे याने कि 9 सप्ताह पहले दुनिया में आ गए दो जुडवा बच्चो ं को डाक्टरों ने इंटेंसिव मॉनिटरिंग, क्रिकटकल केयर से नया जीवन दे दिया। बच्चे अब स्वस्थ हैं व मेडिकल केयर के साथ सामान्य जीवन जी रहे हैं। जुड़वा भाई बहन का जन्म के समय था 800 और 690 पौंड वजन जुड़वां बच्चों की इमरजेंसी डिलीवरी गायनेकोलॉजी – ऑब्बाटे ट्रैक्स की सीनियर कंसल्टेंट डॉ शीतल कौशिक द्वारा की गई। इस केस में जन्म के तुरंत बाद शिशुओं को उनके समय से पहले जनो फेफड़ों के कारण भयानक समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन शिशुओं के श्वसन कार्य को सहारा देने के लिए इंटयूबेशन, वेंटिलेशन और सफैक्टेट घेरेपी की आवश्यकता थी। जन्म के दौरान कम वजन और समय से पहले फेफड़ों के विकास की चुनौतियों का सामना करते हुए पारस हेल्थ उदयपुर के निओनेटोलॉजीस्ट डॉ आशिष घिटे ने इलाज किया और समय से पहले जन्मे शिशुओं के लिए एक महत्वपूर्ण उपचार सफैक्टेट दिया, इस उपचार की वजह से शिशुओं के श्वसन तंत्र के विकास में मदद मिली। निपोटोलॉजिस्ट डॉ आशिष चिटे ने कहा, जन्म के समय अल्पत कम वजन वाले पे जुड़वाँ बच्चे बहुत ही नाजुक स्थिति में थे। उन्हें समय से पहले जन्म लेने के कारण होने वाली अनेक समस्याओं का समाधान करने के लिए इंटेसिव और स्पेसिलाइज्ड उपचार की आवश्यकता थी। इन समस्याओं में हृदय और मस्तिष्क संबंधी समस्याए, इन्फेक्शन्स, साथ ही आंत संबंधी समस्याएं शामिल थीं। इतनी परेशानियों के बावजूद पारस हेल्थ के डॉक्टरों ने जुड़वा बच्चों को स्टेबिलाइज स्थिर) करने के लिए लगभग दो महीने तक मेहनत किया, धीरे-धीरे फिर उन्हें फिर रेस्पिरेट्री सपोर्ट से हटाया गया और उन्हें ओरल फीडिंग पर शिफ्ट किया। आज लड़के का वजन 1,840 ग्राम और लड़की का 1,940 ग्राम है।
28 महीने के 800 और 690 ग्राम के एक्सट्रीम प्री मैच्योर जुड़वा बच्चों को दिया नया जीवन

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