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हर्ष उल्लास के साथ निकली नायक समाज के आराध्य देव एवं लोक देवता पाबूजी महाराज के जन्मोत्सव वाहन रैली

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कविता पारख

24 न्यूज़ अपडेट निम्बाहेडा। निंबाहेड़ा क्षत्रिय नायक समाज के आराध्या देव एवं लोक देवता श्री श्री 1008 पाबूजी महाराज के जन्मोत्सव पर जागृति वाहन रैली निकाली गई।
मीडिया प्रभारी सुरेश नायक ने बताया कि वाहन रैली निंबाहेड़ा नगर के दशहरा मैदान से प्रारंभ हुई जो जिले के राशमी उपखंड क्षेत्र के बारू गांव में स्थित पवित्र तीर्थ स्थान पाबूजी के मंदिर पर रैली का समापन हुआ। नायक समाज के आराध्य देव श्री 1008 पाबूजी महाराज के जन्मोत्सव पर नायक समाज द्वारा वाहन रैली निकाली गई वाहन रैली नायक समाज के जिला अध्यक्ष हीरालाल के नेतृत्व में काफी संख्या में समाजजनों द्वारा वाहन रैली में भाग लेकर निकाली गई।
यहां से हुई शुरू यहां हुई खत्म नायक समाज के आराध्य देव श्री श्री 1008 पाबूजी महाराज के जन्मोत्सव पर वाहन रैली नगर के दशहरा मैदान से प्रारंभ हुई जो नगर के प्रमुख मार्गा से होते हुए करथाना फाटक से शाहाबाद मांगरोल से शंभूपुरा होते हुए जिला कलेक्ट्री से राशमी तहसील के बारू गांव में स्थित पवित्र तीर्थ स्थान पाबूजी महाराज के मंदिर पर पहुंची जहां रैली का समापन किया गया! वाहन रैली को लेकर के युवाओं में बड़ा ही उत्साह दिखाई दिया यही बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ में पाबूजी के भजनों पर झूमते हुए वाहन रैली निकाली गई युवाओं और समाज के लोगो में बड़ा ही हर्ष और उत्साह दिखाई दिया एवं इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाज के वरिष्ठ जन समाज के कार्यकर्ता व समाज के लोग काफी बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
जगह-जगह हुआ स्वागत नायक समाज के आराध्य देव एवं लोक देवता श्री श्री 1008 पाबूजी महाराज के जन्मोत्सव पर वाहन रैली का नगर सहित संपूर्ण मार्ग में पाबूजी की वाहन रैली का इंतजार करते रहे रैली पहुंचने पर उन्होंने रैली का जगह-जगह विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों द्वारा पुष्प वर्षा कर स्वागत अभिनंदन किया गया! वही जैसे-जैसे रैली आगे बढ़ती गई रैली का काफिला भी बढ़ता गया। नायक समाज के आराध्य देव एवं लोक देवता पाबूजी महाराज के जन्मोत्सव पर नायक समाज द्वारा निंबाहेड़ा नगर से बारु गांव में पाबूजी महाराज के मंदिर पर पहुंच करके वाहन रैली का समापन किया तत्पश्चात आराध्य देव एवं लोक देवता श्री श्री 1008 पाबूजी महाराज के मंदिर पर पूजा अर्चना कर रात्रि जागरण का आयोजन किया गया।
राजस्थान के लोकदेवता पाबूजी राजस्थान के लोकदेवता पाबूजी राजस्थानी लोक साहित्य में पाबूजी को लक्ष्मण का अवतार माना जाता है। मेहरजाति के मुसलमान इन्हें पीर मानकर पूजा करते है। इन्हे ऊंटों का देवता भी कहा जाता है। मारवाड़ में ऊँट लाने का श्रेय इन्ही को है। ऊँट के बीमार होने पे इनकी पूजा की जाती है। नायक रायका व रेबारी जाति इन्हें अपना आराध्यदेव मानती है। साथ ही ये समाजसेवक भी थे, श्नैणसी री ख्यातश् से पता चलता है की म्लेच्छ समझी जाने वाली थोरी जाति के सात भाइयों को इन्होने न केवल आश्रय दिया, वरन उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान दिलवाने का प्रयास किया। इनके मुख्य अनुयायी श्थोरी, जाती के लोग है। जो श्पाबूजी री फड़ और पाबूजी रा पावड़ा गाकर इनका सन्देश घर-घर पहुंचते है।
बाल्यकाल पाबूजी का जन्म मारवाड़ के राव आसथान जी के पुत्र धांधलजी राठौड़ के यहां 1239 ई. में फलौदी तहसील के कोलू गाँव में हुआ था। इतिहासकार मुहणौत नैणसी, महाकवि मोडजी आशिया तथा लोगों में प्रचलित मान्यता के अनुसार इनका जन्म वर्तमान बाड़मेर से आठ कोस आगे खारी खाबड़ के जूना नामक ग्राम में अप्सरा के गर्भ से हुआ।
वीरता गाथा अमरकोट के सूरजमल सोढ़ा की पुत्री सुपियार सोढ़ी (फुलम दे) के साथ पाबूजी का विवाह हुआ था। विवाह के मध्य ही उनके प्रतिद्वंद्वी बहनोई जायल (नागौर) नरेश जींदराव खींची ने पूर्व वैर के कारण देवल चारणी की गायों को घेर लिया। देवल ने पाबूजी से गायों को छुड़ाने की प्रार्थना की। तीन फेरे लेने के पश्चात् चौथे फेरे से पूर्व ही वे देवल चारणी की केसर कालमी घोड़ी पर सवार होकर गायों की रक्षार्थ रवाना हो गये। कड़े संघर्ष में 1276 ई. में इन्होने अनेक साथियों सहित वीर-गति प्राप्त की। उनकी पत्नी फूलमदे भी उनके साथ सती हो गयी। वीरता, प्रतिज्ञापालन, त्याग, शरणागत वत्सलता एवं गौ-रक्षा हेतु बलिदान होने के कारण जनमानस इन्हें लोक देवता के रूप में पूजता है।

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