कविता पारख
24 न्यूज अपडेट निम्बाहेडा। रविवार को नगर निम्बाहेडा व ग्रामीण क्षेत्रा में सुबह से ही आसमान में काले बादलो ने अपने डेरा जमाए रखा रिमझिम बारिष का दौर षुरू हुआ जो दोपहर बाद तक रिमझिम बरसात कभी तेज तो कभी धीरे होती रही इस त्यौहार दिवस पर हरयाली बिखेरती हे। जहां विभिन्न स्थलो पर भोले नाथ मंदिरों व प्रकृति के प्रति हरियाली स्थलों पर हरियाली अमवस्या त्यौहार पर हर घर में मालपुए, दहीबडे, पकोडी, आदि व्यजन बनाए जाकर साथ ही पिकनिक स्पोट पर जाकर मनाने के लिए पहुचते हे।
आज हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व होता है। बता दें कि सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं। इसे चितलगी अमावस्या भी कहते हैं। विशेष तौर पर उत्तर भारत में इस अमावस्या का बहुत अधिक महत्व है। सावन के महीने में चारों तरफ हरियाली होती है। इसलिए पुराणों में भी हरियाली अमावस्या को पर्यावरण संरक्षण के रूप में मनाने की परंपरा है। हमारी संस्कृति में वृक्षों को भगवान के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं कि हर वृक्ष में किसी न किसी देवता का वास होता है। जैसे पीपल के वृक्ष में तीनों महाशक्ति ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी का वास माना जाता है। तो आइए जानते हैं कि हरियाली अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए और स्नान-दान के लिए क्या शुभ मुहूर्त रहेगा। इस त्यौहार पर हर घर पर विषेष तौर से मालपुए बनाए जाते है। और भगवान को भोग लगाया जाता हे। नगर में प्रमुख मिठाई की दुकानदारों द्वारा अपने प्रतिष्ठान पर मालपुए की स्टॉल सजे हुए और वहां लोग कतार में लगकर रबडी व सादे मालपुए की खासी डिमांड रहती है। सावन माह की इस हरियाली अमावस्या को लोग अपने घरों में भी पकवान के रूप में मालपुए बनाते है। बताया जाता हे कि मालपुए हरियाली अमवस्या के दिवस विषेषतौर से बनाए जाकर भगवान को मालपुए का भोग लगाकर खुषिया मना रहे है। जिले के श्री सांवरा सेठ के दर्षन के लिए अल सुबह से श्रद्वालुओं की लगी लम्बी लम्बी कतारे जो श्रद्वालु बहुत दुर -दुर तक से आये दर्षन के लिए श्रीसावरिया सेट के वहां उमडी भीड साथ ही आस-पास के मदिरों में भी पहुचे श्रद्वालुओं जहां भोले नाथ के जयकारो से गुजायमान हो गया। हरियाली अमावस्या के दिन मेवाडवासी धूमधाम से मनाते हे। र्प्यटन स्थलों पर भी आज भीड-भाड रही दर्षनार्थियों ने जयकारों के साथ इस पवित्र दिवस पर भगवान के दर्षन किए। इसी तरह मध्य प्रदेष से भारी भीड की आवा जावी रही जहां श्रद्वालुओ की भारी भीड दिनभर बडे व छोटे वाहनों में बेठकर आवागमन चलता रहा है।

