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सरकार खनन पट्टाधारकों की समस्याओं का शीघ्र करे समाधान आक्या

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कविता पारख

24 न्यूज़ अपडेट निम्बाहेडा। चित्तौडगढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने गुरूवार को विधानसभा सत्र के दौरान प्रक्रिया एवं कार्यसंचालन नियमों के नियम 295 के अन्तर्गत विशेष उल्लेख प्रस्ताव पर बोलते हुए माईनिंग क्षेत्र में विभाग की लापरवाही से खनन पट्टाधारकों को हो रही समस्या का मुद्दा सदन में उठाते हुए राहत दिलाने की मांग की।
विधायक आक्या ने सदन में बोलते हुए कहां कि खनन व्यवसाय प्रदेश की आय का मुख्य स्त्रोत है इससे जुडे पट्टाधारियों को विभाग की लापरवाही व राज्य सरकार द्वारा खनन को उद्योग का दर्जा नहीं दिये जाने से पट्टाधारीयो को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
विधायक आक्या ने कहां कि राज्य सरकार द्वारा निलामी प्रक्रिया से खान आवंटित की जाती है लेकिन खनन क्षेत्र में आने वाली भूमि, रास्ते एवं खनन से निकलने वाली मिट्टी के निस्तारण के लिए भूमि उपलब्ध नहीं करवाई जाती है। संबंधित विभागो द्वारा समय पर अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिये जाने से पट्टाधारक निलामी राशि जमा करवाने के बाद भी कई महिनों तक खनन कार्य प्रारंभ नहीं कर पाते है जिससे वह भारी कर्जे में डूब कर दिवालीया हो रहे है। विभाग द्वारा पर्यावरण सरंक्षण एवं खनन क्षेत्र के विकास हेतु डीएमएफटी के नाम से पट्टाधारकों से राशि वसूल करने के बाद भी उन पर वृक्षारोपण हेतु दबाव बनाया जाता है लेकिन राज्य में पुराने आवंटित सभी पट्टे पांच हेक्टेयर भूमि से कम होने के कारण खनन पट्टा क्षेत्र में खनिज की उपलब्धता को देखते हुए वृक्षारोपण करना संभव नही है।
विधायक आक्या ने सदन में कहां कि पूर्व में आवंटित सभी पट्टों की भूमि तत्कालिन समय के प्रचलित यंत्रों द्वारा मापी गई थी। विभाग द्वारा वर्तमान में सेटेलाईट उपकरणों द्वारा नापने पर पट्टा भूमि भिन्न स्थान पर दर्शाती है जिससे पट्टाधारकों को अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 5 हैक्टेयर व उससे छोटे खनन क्षेत्रों में खान सुरक्षा निदेशालय विभाग के निर्धारित मापदण्डों के पालन करने से मिनरल का पुरा खनन नहीं हो पाता है एवं खनन कार्य में अनावश्यक व्यवधान उत्पन्न होता है इसलिये 5 हैक्टेयर व उससे छोटे खनन पट्टों के लिए खान सुरक्षा निदेशालय के मापदण्डों में संशोधन करवाने की आवश्यकता है। खनन पट्टाधारकों द्वारा उत्पादन व निर्गमन के आंकड़े ऑनलाइन किये जाने के बाद भी विभाग द्वारा स्वतः एसेसमेन्ट नहीं किया जाकर पट्टाधारी को विभाग के अनावश्यक चक्कर लगवाये जा रहे है। उन्होने राज्य सरकार से एक बहुत बडे व्यवसाय को बंद होने से बचाने के लिये खनन पट्टाधारकों की समस्याओं का त्वरीत समाधान करा राहत दिलाने की मांग की।

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