24 न्यूज अपडेट उदयपुर। राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग आदेशिका परिवाद संख्या 2024//
समक्ष : एकलपीठ माननीय सदस्य जस्टिस श्री रामचन्द्र सिंह झाला ने सरकार व अधिकारियों से 31 जुलाई तक जवाब मांगा है। नोटिस में बताया गया कि दैनिक भास्कर हिन्दी समाचार पत्र में आज दिनांक 09 जुलाई, 2024 को “दिल्ली के दलाल आदिवासी क्षेत्र से ₹20 हजार में नवजात खरीद 8 लाख में बेच रहे” शीर्षक से प्रकाशित विस्तृत समाचार का अवलोकन किया। समाचार के अनुसार, दलाल आदिवासियों से 20 से 40 हजार रूपये में 7 दिन से लेकर 1 महीने तक का नवजात खरीदकर निसंतान दंपतियों को 8 लाख रूपए तक में बेच रहे हैं। बच्चों की डिलिवरी दिल्ली, हैदराबाद, गुजरात, मध्यप्रदेश तक हो रही है। भास्कर रिपोर्ट ने डेढ माह तक इस नेटवर्क की पडताल की। पूरा सिस्टम समझने के बाद दिल्ली के दलालों से बच्चा खरीदने के लिए संपर्क किया। 25 दिन के नवजात के लिए दलाल ने 8 लाख रूपए मांगे। सौदा 6 लाख में तय हुआ। वाट्सअप पर नवजात शिशु का वीडियो भेजा। देखने की इच्छा जताई तो दिल्ली के दलाल मनोज ने दिखाने के 20 हजार रूपए लिए। फिर उदयपुर जिले की दलाल राजकुमारी और तनु पटेल के साथ गुलाबबाग में नवजात को रिपोर्टर के हाथों में सौंप दिया। भास्कर संवाददाता एक एनजीओ कार्यकर्ता को पत्नी बनाकर बच्चे से मिलने गया था। पडताल में सामने आया कि उदयपुर के आदिवासी अंचल से एक साल में 20 नवजात बेचे गए। सबसे ज्यादा बच्चे फलासिया, बागपुर, झाडोल व कोटडा से बिके। आईवीएफ सेंटर और अस्पतालों के कनेक्शन से निसंतान दंपतियों को दलाल फंसाते हैं इत्यादि।
खबर के अवलोकन से मामला प्रथम दृष्ट्या मानव तस्करी जैसे गम्भीर अपराध से नवजात शिशुओं के गम्भीर मानव अधिकार हनन का प्रकट होता है। राज्य आयोग का यह स्पष्ट मत रहा है कि, मानव के जन्म से पूर्व (भ्रूणावस्था से लेकर) मृत्यु के पश्चात (गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार तक) सामान्य मानक के रूप में घोषित मानव अधिकार है तथा इनका संरक्षण एवं संवर्धन किया जाना राज्य का महत्वपूर्ण दायित्व है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के सार्वभौमिक घोषणा पत्र दिनांक 10 दिसम्बर, 1948 के प्रथम अनुच्छेद में स्पष्ट अंकित किया है कि, “All human beings are born free and equal in dignity and rights. They are endowed with reason and conscience and should act towards one another in a spirit of brotherhood.” पैदा होते ही नवजात शिशुओं की खरीद-फरोख्त किया जाना आपराधिक कृत्य होने के साथ ही उन नवजात शिशुओं के मानव अधिकारों का गम्भीर हनन भी है। अतः राज्य आयोग द्वारा इसे गम्भीरता से लेकर खबर पर प्रसंज्ञान लिया जाता है। प्रकरण पंजीकृत किया जावे। इस आदेश एवं खबर की प्रतिलिपि अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग, राजस्थान सरकार, शासन सचिवालय, जयपुर तथा महानिदेशक पुलिस, राजस्थान, जयपुर को जरिये ईमेल प्रेषित कर उनसे अपेक्षा की जावे कि खबर में अंकित तथ्यों के सम्बन्ध में निष्पक्ष एवं त्वरित जांचोपरान्त विधि अनुसार उचित कार्यवाही की जावे तथा की गई कार्यवाही एवं वस्तुस्थिति की पूर्ण तथ्यात्मक रिपोर्ट राज्य आयोग को आगामी तारीख पेशी से पूर्व प्रेषित की जाये।
महानिदेशक पुलिस राज्य आयोग को यह भी अवगत करावें कि खबर में जिस प्रकार से खुले आम बच्चों की खरीद-फरोख्त का खुलासा किया गया है क्या राज्य व सम्भाग व जिला स्तर की खुफिया एजेंसीज् (सीआईडी/आसूचना ब्यूरो इत्यादि) तथा राज्य में गठित मानव तस्करी विरोधी ईकाईयों तथा स्थानीय पुलिस प्रशासन को इन मामलों की कोई जानकारी नहीं हुई? इस सम्बन्ध में किस-किस स्तर पर लापरवाही हुई है? गहन जांच कराकर दोषी अधिकारी/कर्मचारीगण के विरूद्ध उचित कार्यवाही कर आयोग को अवगत कराया जावे तथा ऐसे आपराधिक कृत्यों के निषेध हेतु पिछले एक वर्ष में क्या-क्या कार्यवाहियां की गई है पूर्ण विवरण किसी विज्ञ अधिकारी के साथ आगामी तारीख पेशी दिनांक 31 जुलाई, 2024 को प्रातः 11.30 बजे राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया जावे। पत्रावली दिनांक 31 जुलाई, 2024 को पेश हो।
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