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बेरोजगारी का 12 साल का वनवास देख हाईकोर्ट तमतमया, केंद्र सरकार और SSC पर 1.25 लाख का जुर्माना

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24 न्यूज अपडेट जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने 11 साल से एक रिट याचिका में जवाब पेश नहीं करने पर केंद्र सरकार और कर्मचारी चयन आयोग पर 1 लाख 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। अगली सुनवाई से पहले जुर्माने की राशि याचिकाकर्ता को अदा करने के आदेश भी दिए हैं। एक बेरोजगार व्यक्ति 12 साल से नियुक्ति का इंतजार कर रहा है। जस्टिस गणेश राम मीणा की कोर्ट ने जुर्माना लगाते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 11 साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी जवाब पेश नहीं किया गया और अभी भी जवाब देने के लिए समय मांगा जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि एसएससी के सुस्त रवैये के साथ किसी भी तरह से नरमी नहीं बरती जा सकती है, लेकिन न्याय के हित में सरकार और एसएससी को 1.25 लाख के जुर्माने के साथ जवाब पेश करने के लिए अंतिम 2 सप्ताह का मौका दिया जाता है। कोर्ट ने कहा कि बेरोजगार व्यक्ति जिसने शारीरिक दक्षता के साथ लिखित परीक्षा भी पास की। वह पिछले 12 साल से नियुक्ति का इंतजार केवल इसलिए कर रहा है कि कोर्ट में लंबित मामले में जवाब पेश नहीं किया गया। आपको बता दें कि वीरेंद्र सिंह ने साल 2011 में हाईकोर्ट में याचिका दायर करके कहा था कि उसने एसएससी द्वारा आयोजित पोस्ट ऑफ कॉन्स्टेबल (जीडी) परीक्षा में फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट और लिखित परीक्षा पास की है, लेकिन आयोग ने उसे मेडिकल एग्जामिनेशन के लिए नहीं बुलाया। ऐसे में हाईकोर्ट एसएससी को आदेश दें कि वह उसे मेडिकल एग्जामिनेशन में शामिल करके नियुक्ति दें। याचिकाकर्ता के वकील विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि कर्मचारी चयन आयोग ने ओएमआर शीट पर रोल नंबर गलत अंकित होने की वजह से चयन से वंचित कर दिया था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 12 सितंबर 2011 को केंद्र सरकार, कर्मचारी चयन आयोग और इंस्पेक्टर जनरल मुख्यालय बीएसएफ को नोटिस जारी करते हुए नियुक्तियों को याचिका के अधीन रखा था। केवल बीएसएफ मुख्यालय की ओर से याचिका में जवाब पेश करते हुए कहा गया कि हमने शारीरिक दक्षता परीक्षा आयोजित करवाई थी। इसकी रिपोर्ट कर्मचारी चयन आयोग को भेज दी थी। आगे हमारा सिलेक्शन प्रोसेस में कोई रोल नहीं है, लेकिन केंद्र सरकार और कर्मचारी चयन आयोग ने आज तक मामले में जवाब पेश नहीं किया।

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