

24 न्यूज़ अपडेट उदयपुर. भूपाल नोबल्स स्नातकोत्तर महाविद्यालय में संचालित दृश्य कला विभाग द्वारा दिवेर विजयोत्सव स्मृति दिवस पर चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। महाविद्यालय अधिष्ठाता डॉ रेणु राठौड़ ने बताया कि दिवेर की लड़ाई 22 सितम्बर 1582 में महाराणा प्रताप और मुगल सेना के बीच लड़ी गई थी। यह युद्ध महाराणा प्रताप की मुगलों के विरुद्ध आजादी की लड़ाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। महाराणा प्रताप ने अपनी सेना के साथ मुगलों के खिलाफ निर्णायक जीत हासिल की। उन्होंने अपने कुंवर अमर सिंह के साथ मिलकर मुगल सैनिकों के किलेबंदी को ध्वस्त किया और कई मुगल कमांडरों को पराजित किया। इस लड़ाई के बाद महाराणा प्रताप ने मेवाड़ के ज्यादातर क्षेत्रों को फिर से जीत कर अपने अधिकार में कर लिया और अपने राज्य को स्वतंत्रता की ओर बढ़ाया। दिवेर की इस विजय ने न केवल महाराणा प्रताप की प्रतिष्ठा को बढ़ाया, बल्कि राजस्थान में मुगलों के खिलाफ चल रहे संघर्ष में भी एक नया जोश भरा। इस विजय के बाद, महाराणा प्रताप ने अपने शेष जीवन में मेवाड़ की स्वतंत्रता को बनाए रखा और वह भारतीय इतिहास में साहस, वीरता और स्वतंत्रता के प्रतीक बने रहे। चित्रकला विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ कंचन राणावत ने विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि “दिवेर विजय तत्कालीन मेवाड़ राज्य ही नहीं अपितु भारत के इतिहास का वैभवशाली पृष्ठ” विषयक आधारित प्रतियोगिता के आयोजन में युद्ध के विभिन्न स्वरूपों को कला के माध्यम से विद्यार्थियों द्वारा अत्यंत सराहनीय रूप से दर्शाया गया। इसमें प्रथम दिनेश वागरीया, द्वितीय ईश्वर औदिच्य एवं घनश्याम लोहार तथा तृतीय लक्षिता हेड़ा रही। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में डॉ.कमल सिंह राठौड़, डॉ संगीता चुंडावत एवं रीना चौहान शामिल थे। इस अवसर पर सह अधिष्ठाता डॉ.रितु तोमर सहित अन्य संकाय सदस्य भी उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय चैयरपर्सन कर्नल प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत, सचिव डा.महेन्द्र सिंह आगरिया, प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड, विश्वविद्यालय कुल सचिव डॉ.निरंजन नारायण सिंह राठौड़ ने इस अवसर विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा की दिवेर युद्ध, एक ऐसा निर्णायक युद्ध जिसमें मेवाड़ की सेना ने 36 हज़ार मुगल सैनिकों को भागने पर मजबूर कर दिया था और नई पीढ़ी मेवाड़ के इस शौर्य से अच्छी तरह परिचित नहीं है इसलिए ऐसे दिवसों की सार्थकता हैं की वे इन तथ्यों, घटनाओं से परिचित हो और अपने देश और मिट्टी पर गर्व कर सके। यह जानकारी जन सम्पर्क अधिकारी डॉ कमल सिंह राठौड़ ने दी।
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