24 न्यूज अपडेट, नेशनल डेस्क। उत्तर प्रदेश में सत्संग मामले में एक नई अपडेट यह आई है कि इस मामले की कल जिन बाबाजी के कारण भगदड़ मची थी उनका नाम एफआईआर में ही नहीं है। आगरा में रात भर शवों का पोस्टमार्टम किया गया। परिजन लाशों के बीच अपनों को ढूंढते रहे। अब तक कुल 121 मौतों की की पुष्टि की गई है। बाबा के अनुयायी रातभर आश्रम के गेट के बाहर डटे रहे और सुरक्षा में पुलिस भी तैनात रही। इसके बाद सुबह साढ़े सात बजे आश्रम से गाड़ियों का एक काफिला बाहर निकला। काफिले में छह गाड़ियां शामिल थीं। चर्चा है कि भोले बाबा इन्हीं में किसी एक गाड़ी में सवार थे।
आपको बता दे कि यह हादसा मंगलवार दोपहर 1 बजे फुलरई गांव में हुआ था। इस बारे में देर रात 22 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर का नाम आया है व चौंकाने वाली बात है भोले बाबा उर्फ हरिनारायण का नाम ही नहीं है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ थोड़ी देर में जिला अस्पताल हाथरस पहुंचने वाले हैं। 4 जिलों अलीगढ़, हाथरस, एटा और आगरा में रातभर शवों का पोस्टमॉर्टम हुआ। हादसा मंगलवार दोपहर 1 बजे फुलरई गांव में हुआ। मंगलवार देर रात हादसे में 22 लोगों के खिलाफ सिकंदराराऊ थाने के दरोगा ने प्राथमिकी नए कानूनों के तहत दर्ज कराई। मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर का नाम है। बाकी सब अज्ञात हैं। चौंकाने वाली बात है कि इसमें मुख्य आरोपी भोले बाबा उर्फ हरि नारायण साकार का नाम नहीं है। हादसे के बाद से बाबा अंडरग्राउंड हो गया है। पुलिस रातभर तलाश में छापेमारी करती रही। पुलिस मैनपुरी में बाबा के आश्रम में पहुंची, लेकिन वहां भी बाबा नहीं मिला। मैनपुरी में आश्रम के बाहर पुलिस तैनात है। वकील गौरव द्विवेदी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में पीआईएल दायर करके हादसे की सीबीआई जांच की मांग की है। सीएम योगी अधिकारियों से देर रात तक रिपोर्ट लेते रहे। बताया गया कि प्रशासन ने 80 हजार लोगों की सभा की अनुमति दी थी, लेकिन ढाई लाख लोग आ गए। सत्संग खत्म होने के बाद भोले बाबा निकले, तो उनके चरणों की रज लेने के लिए महिलाएं टूट पड़ीं। भीड़ हटाने के लिए वॉलंटियर्स ने वाटर कैनन का उपयोग किया। बचने के लिए भीड़ इधर-उधर भागने लगी और भगदड़ मच गई। लोग एक-दूसरे को रौंदते हुए आगे बढ़ने लगे व वहीं से मौत का तांडव शुरू हो गया। हाथरस दुर्घटना स्थल की जांच कर रहे फोरेंसिक यूनिट के एक सदस्य ने कहा, यहां से इकट्ठा करने के लिए कोई विशेष चीजें नहीं हैं, यह केवल भक्तों का सामान है जैसे जूते और बैठने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चादरें बस मिली हैं। बताया जा रहा है कि कई चीजें पुलिस के आने से पहले ही आस-पास के खतों में फेंक दी गई या खुर्द-बुर्द कर दी गई। पुलिस के खुफिया तंत्र ने अपनी रिपोर्ट में सत्संग में सवा लाख से अधिक भीड़ जुटने की जानकारी दी थी। यहां पर एलआईयू ने अप्रिय घटना होने की आंशका भी व्यक्त की थी, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदारों ने गंभीरता से नहीं लिया और इसका परिणाम सामने आ गया। अगर समय रहते अधिकारी खुफिया तंत्र की रिपोर्ट पर ध्यान देते तो इतना बड़ा हादसा नहीं होता। भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है। वह एटा का रहने वाला है। करीब 25 साल से सत्संग कर रहा है। पश्चिमी यूपी के अलावा राजस्थान, हरियाणा में भी अनुयायी हैं। आयोजकों ने सत्संग के लिए 80000 लोगों की अनुमति मांगी थी। इसी हिसाब से प्रशासन ने व्यवस्था की गई थी, लेकिन सत्संग में ढाई लाख से अधिक पहुंच गए।
लाशों को देखकर सिपाही को आया हार्टअटैक
एटा में मेडिकल कॉलेज में लाशों का ढेर देखकर ड्यूटी पर तैनात सिपाही रजनेश (30) को हार्ट अटैक आ गया। उसकी मौके पर मौत हो गई। वह क्यूआरटी अवागढ़ में तैनात था। उसे मेडिकल कॉलेज आपात ड्यूटी पर बुलाया गया। इतनी लाशें देखकर वह बर्दाश्त न कर सका। सिपाही मूल रूप से अलीगढ़ का रहने वाला था।
बचके रहना रे ‘बाबा’ : ग्राउंड पर पड़े शव, बाबा हो गया अंडरग्राउंड, रातभर चले पोस्टमार्टम, एफआईआर में भोले बाबा का नाम तक नहीं, खुफिया तंत्र ने चेता दिया था पर नहीं माने, मौके से साक्ष्य मिटाने की कोशिश, आस-पास के खतों में फेंका मृतकों का सामान

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