24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। लेकसिटी झीलों की नगरी में मानूसन ने जाते-जाते मेहर बरसा दी है। सभी झीलें पहले ही छलक चुकी है और आज दोपहर 1 बजे फतहसागर के छलकने के इंतजार की घड़ियां भी सामाप्त हो गई। जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल ने पूजा अर्चना करते हुए फतहसागर के गेट खोले, यूडीए आयुक्त राहुल जैन, एसीएस संजीव शर्मा आदि की मौजूदगी में फतहसागर के चार गेट 6-6 इंच खोले गए हैं। फतहसागर के गेट खुलने की खबर से लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पाल पर मौजूद लोगों ने जयकारे लगाए और गणपति बप्पा मोर्या से कहा कि अगले बरस मानूसन को इस झील को छलकाने थोड़ा जल्दी भेजना। लोगों ने खूब फोटो व सेल्फियां लीं व सोशल मीडिया पर फतसाहर का झरना छा गया। इससे पहले अलर्ट जारी किया गया कि बाहव क्षेत्र में आने वाले इलाकों में लोग पानी से दूर रहें। स्वरूपसागर के गेट पहले से खुले हुए हैं व उदयसागर के गेट भी खुले हैं। 13 फीट भराव क्षमतावाली इस झील में पानी का स्तर चार दिन से 12 फीट मेंटेन कर रखा था। ऐसे में आज शुभ मुहूर्त देख कर इसके गेट खोल दिए गए। आपको याद दिला दें कि पिछले साल 10 जुलाई को ही फतहसागर के गेट खोल दिए गए थे। ऐसे में इस बार पूरे लगभग डेढ़ महीने के ज्यादा अंतराल से गेट खोले गए हैं। चार दिन पहले ही उदयसागर व स्वरूपसागर के गेट खोले गए थे व उससे पहले सीसारमा का पिछोला में आने वाला पानी लिंक नहर के जरिये फतहसागर में डाइवर्ट किया गया था। अभी फतहसागर में बड़ी तालाब की नहर, मदार नहर व लिंक नहर से पानी की आवक हो रही है।
कब- कब छलका फतहसागर?
26 अगस्त, 1973
23 अगस्त, 1975
3 सितंबर, 1976
28 अगस्त, 1977
19 अगस्त, 1978
10 अगस्त, 1980
8 अगस्त, 1983
13 अगस्त, 1984
14 अक्टूबर, 1985
5 सितंबर, 1989
1 सितंबर, 1990
12 अगस्त, 1992
27 अगस्त, 1994
25 सितंबर, 1996
25 सितंबर, 2005
12 अगस्त, 2006
9 सितंबर, 2010
3 सितंबर, 2011
12 सितंबर, 2012
14 अक्टूबर, 2013
13 सितंबर, 2014
13 अगस्त, 2015
21 अगस्त, 2016
2 अगस्त, 2017
2 सितंबर, 2019
2 सितंबर, 2020
7 अक्टूबर , 2021
25 नवंबर, 2021
5 अगस्त 2022
10 जुलाई 2023
22 अगस्त 2023
7 सितम्बर 2024
फतेह सागर झील के बारे में
फतेह सागर झील का निर्माण महाराणा जय सिंह ने 1678 में करवाया था। फतेह सागर झील का नाम महाराणा फतेह सिंह के नाम पर ही पड़ा। झील 2.4 किमी लंबी, 1.6 किमी चौड़ी और 11.5 मीटर गहरी है। यह लगभग 1 वर्ग किमी के कुल क्षेत्र को मानसून के दौरान कवर करती है। झील का एक ही ओवरफ्लो चैनल है जिसको काला किवाड कहा जाता है। 1687 में महाराणा जय सिंह ने पहली बार झील का निर्माण करवाया था, मगर दो सौ साल बाद ही मिट्टी का बांध बाढ़ के दौरान बह गया और उसके बाद महाराणा फतह सिंह ने 1889 में महारानी विक्टोरिया के बेटे ड्यूक ऑफ कॉनॉट की यात्रा के उपलक्ष्य में देवाली झील पर “कॉनॉट बांध“ बनवाया था। बाद में झील का विस्तार हुआ व इसका नाम बदलकर फतेह सागर झील कर दिया गया। इसी झील में नेहरू गार्डन और दुनिया की जानी मानी सोलर ऑब्जर्वेटरी है।
लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं
गेट खुलने के साथ ही रपट पर जलराशि बहना शुरू हो गई। यह देखकर लोगों का उत्साह दुगुना हो गया। आमजन व पर्यटकों ने जयकारे लगाकर स्वागत किया। वीकेण्ड पर गेट खुलने से पाल पर देर रात तक लोगों का जमघट लगा रहा। लोगों ने सेल्फी लेकर तथा रिल्स बनाकर वीकेंड इंजाॅय किया।
जिला कलक्टर ने दी बधाई
जिला कलक्टर अरविन्द पोसवाल ने शहर की सभी झीलों सहित बांध-तालाबों के लबालब होने पर जिलेवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ईश्वर और प्रकृति के आशीर्वाद से जिले में पर्याप्त वर्षा हुई है। फतेहसागर और पिछोला जैसी झीलें उदयपुर के पर्यटन की आधार हैं। झीलें भरने से पर्यटकों की बहार रहेगी, जिससे उदयपुर में पर्यटन आधारित आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी। जिला कलक्टर ने पर्यटकों और शहरवासियों से जल स्रोतों के आसपास भ्रमण के दौरान सावधानी बरतने की भी अपील की, ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हो।
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