24 न्यूज अपडेट उदयपुर। झीलों की नगरी उदयपुर में इन दिनों पॉलिटिकल एलिवेटेड रोड शो चल रहा है। हर राज एक नई बात सामने आ रही है और राजनीतिक भुजाओं के बल दिखाए जा रहे है।ं कोई कह रहा है कि एक आर्म अश्विनी बाजार में उतारो तो कोई कलक्ट्रेट वाली रोड पर उतारने की बात कर रहा है। अब तो लोग मजाक-मजाक में यह तक कहने लग गए हैं कि सहस्त्र भुजाओं वाला एलिवेटेड रोड बनाना चाहिए ताकि जो चाहे, वहां से टर्न लेकर नीचे आने का सुख प्राप्त कर सके। असल इंजीनियरिंग से पहले पॉलिटिकल जमीन पर चुनावों की ड्राइंग तैयार हो गई है व सुझावों के जुमले उछाले जा रहे हैं। मजे की बात है कि हर सुझाव देने वाला दुनियाभर की बातें करने के बाद अंत में कह रहा है कि मैं एलिवेटेड रोड के पक्ष में हूं। सच तो ये है कि कोई भी राजनीतिक रूप से इसका विरोध करना अफोर्ड नहीं कर सकता। एलिवेटेड अखाड़े में कई सारे पक्ष अपनी पहलवानी का जलवा दिखा चुके हैं, आने वाले दिनों में भी ऐसे नजारे और देखने को मिल सकते है।
बहरहाल, एलिवेटेड रोड को लेकर आज पूर्व पार्षद अजय पोरवाल पत्रकारों से लेकसिटी प्रेस क्लब में मुखाबित हुए। उन्होंने इसे बीजेपी का काला सच बताया। बोले, भाजपा की असलियत बताना चाहता हूं। इस एलिवेटेड रोड को पूर्व यूआईटी चैयरमेन शिवकिशोर सनाढ्य ने 2008 में डीपीआर बनाई, जिसमें लाखों रूपए खर्च किए गए। पहले इस रोड को सिटी स्टेशन से कोर्ट चौराहे तक बनाने की योजना थी पर डीपीआर में इस एलिवेटेड रोड को उदियापोल से शुरू कर कोर्ट चौराहे तक बनाना प्रस्तावित कर दिया। लाखों रुपए खर्च कर बनाई यह डीपीआर रिपोर्ट कागजों में खो गई और इस पर किसी ने भी चर्चा नहीं की। दूसरी बार वर्ष 2014 में इसी भाजपा ने एलिवेटेड रोड को लेकर एल एन टी कम्पनी से डीपीआर बनवाई, जिसमें भी लाखों रूपए खर्च किए। इस डीपीआर के विरोध में भाजपा समर्थित व्यापारी उच्च न्यायालय की शरण में चले गए और स्टे लेकर आ गए। इसके बाद यह मुद्दा भी ठंडे बस्ते में चला गया। तीसरी बार भाजपा के वरिष्ठ नेता और उदयपुर विधायक गुलाबचंद कटारिया ने केन्द्र सरकार के परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी से इसी एलिवेटेड रोड के लिए 400 करोड रूपए की स्वीकृति ले आए और एनएचएआई ने लाखों रूपए खर्च कर एलिवेटेड रोड की डीपीआर बनाई। इस डीपीआर को इंडियन रोड कांग्रेस ने तकनीकी कारण बताते हुए रिजेक्ट कर दिया। चौथी बार निगम के भाजपा बोर्ड ने लाखों रूपए खर्च कर अहमदाबाद की किसी ऐजेन्सी से एक फिर से डीपीआर बनवाकर उच्च न्यायालय में पेश किया और एलिवेटेड रोड के बनाने के पक्ष में फैसला लेकर आए। इस एलिवेटेड रोड की कहानी 2008 से शुरू होती है जो 2024 तक चली आ रही है । इसमे विशेष ध्यान देने वाली मुद्दा लेकर आए, चुनाव जीते बात यह है कि 2009 में नगर निगम चुनाव थे तो भाजपा वाले एलिवेटेड रोड का और इसे मुद्दे को भूल गए। लाखों रूपए शहर की जनता के डूब गए। 2013 में इस एलिवेटेड रोड का मुद्दा फिर से उठाया और 2014 में नगर निगम चुनाव जीता और फिर से मुद्दा भूल गए। वर्ष 2022 में नगर निगम के नगर निगम के तत्कालीन निर्माण समिति अध्यक्ष ताराचंद जैन ने पहले समिति की बैठक में इस एलिवेटेड रोड की मुद्दे को जीवित किया और समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित करवाकर प्रशासनिक समिति में इसे पारित करवाकर बोर्ड की बैठक में भी पास करवा दिया। तत्कालीन निर्माण समिति अध्यक्ष ताराचंद जैन ने वादा किया कि जरूरत पड़ी तो हाईकोर्ट में खुद के खर्चे पर निगम के पक्ष में फैसला लाकर दिसम्बर 2022 एलिवेटेड रोड का शिलान्यास करवा दूंगा। इस प्रस्ताव का पक्ष-विपक्ष के सभी पार्षदों ने समर्थन कर पारित किया। लगता है इनकों विधायक के टिकट मिलने का पहले से ही संकेत मिल गया था। भाजपा ने ताराचंद जैन को जैसे ही शहर विधायक का प्रत्याषी बनाया तो उन्होंने कहा कि मैं एलिवेटेड रोड बनाने का प्रयास करूंगा। इसका पूरे शहर की जनता ने स्वागत किया। नगर निगम एलिवेटेड रोड के पक्ष में केस जीती तो भारतीय जनता पार्टी के उप महापौर पारस सिंघवी इस एलिवेटेड रोड के विरोध में सड़कों पर आ गए और विरोध करने लगे। इसका कारण यह है कि नगर निगम ने पिछले सालों में स्मार्ट सिटी, हॉस्पीटल के बाहर वे ब्रिज, टॉउन हॉल में हाथी वाला पार्क की पार्किंग, सूरजपोल चौराहे पर मैकेनाईज्ड पार्किंग और सूरजपोल का चप्पल चौराहा, हिरणमंगरी की स्मार्ट रोड, गोवर्धन विलास स्मार्ट रोड, उदयपुर के वरिष्ठ इंजीनियर महापौर जीएस टांक के निर्देशन में बने प्रतापनगर, सेवाश्रम और कुम्हारों का भट्टे का ओवर ब्रिज, सभी फेल हो गए है। उदयपुर की जनता के करोड़ों रुपयों को विकास के नाम पर डुबाया गया है। स्वयं उप महापौर पारस सिंघवी ने एक निजी चैनल पर स्वीकार किया कि नगर निगम के ये सभी काम फेल हो गए है और करोड़ों रूपए शहर की जनता के डूब गए है। मेरा मानना है कि ये सब मुद्दे नगर निगम के आने वाले चुनाव में जनता भाजपा का विरोध नहीं करे इसके लिए अब फिर से एलिवेटेड रोड का मुद्दा लाया गया है। इसमें भाजपा का ही एक पक्ष इसका विरोध कर रहा है और दूसरा पक्ष समर्थन कर रहा है और जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है। उप महापौर भी स्मार्ट सिटी की कम्पनी का सदस्य होता है पहले विरोध क्यों नहीं किया, विधायक बनने का सपना था, पार्टी ने दूसरे को मौका दे दिया तो विरोध शुरू कर दिया । जनता की इतनी ही चिंता थी तो उस समय ही विरोध करते जब बन रहा था, बनने के बाद विरोध करना पारस सिंघवी की स्वार्थसिद्धि की मानसिकता को साबित करता है। मेरा ऐसा मानना है कि उदयपुर की जनता को नगर निगम के इस भ्रष्टाचार का जवाब आने वाले चुनावों में जरूर देना चाहिए। जिस तरीके से इस बोर्ड ने भ्रष्टाचार किया है इसको छिपाने की साजिश रची जा रही है। मैं अजय पोरवाल एलिवेटेड रोड बनाने के पक्ष में हूं।
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