24 न्यूज़ अपडेट बांसवाड़ा। उदयपुर में जहां पेंथर पर आदमखोर होने का दाग लग गया है और एक पेंथर ने तो ग्रेट एस्केप करते हुए पिंजरा तोड़ दिया लेकिन बांसवाड़ा में एक पेंथर ने भूखों मरना स्वीकार किया लेकिन आदमखोर होना नहीं। यह साबित हो गया कि पेंथर स्वभाव से आदमखोर नहीं होते हैं। जंगल कटेंगे, पहाड़ों की महाभ्रष्ट व घूसखोर नेता व प्रशासनिक अधिकारी मिलकर हत्या करेंगे व पेंथर का इलाका उससे छीन लेंगे तब भी पेंथर हमला नहीं करेगा। वो भूखा मरना पसंद करेगा। मगर जब भूख से मरते पेंथर का इंसान से सामना हो जाएगा, तब वह उसे बहुत ही दुर्लभ परिस्थितियों में उसका शिकार बना लेगा।
आज बांसवाड़ा के इस पेंथर का अंतिम संस्कार राजकीय नियमानुसार किया गया। बांसवाड़ा के घाटोल वन रेंज कार्यालय से 1 किमी दूरी पर हाईवे कि पास एक जीरा कैनाल है। आज यहां पर मादा पेंथर का शव मिला जिसने शिकार के अभाव में भूख से तड़प कर अपनी जान दे दी लेकिन आदमखोर होना स्वीकार नहीं किया। आज सुबह लागों ने पेंथर का शव देखा तो सहम गए। पास जाकर तस्दीक की ओर पुलिस व वन विभाग को सूचना दी।घाटोल रेंज कार्यालय पर मिली सूचना के आधार पर रेंजर सूर्यवीर सिंह मीणा अपनी पूरी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। रेंजर मीणा ने तुरंत एसडीएम हाबूलाल मीणा, थानाधिकारी प्रवीण सिंह सिसोदिया और पशु चिकित्सा अधिकारी रघुनाथ मठपति को सूचित किया। इसके बाद पशु चिकित्सकों और पुलिस प्रशासन की टीम बुलाई गई। पशु चिकित्सा अधिकारी मठपति ने पेंथर के मृत होने की पुष्टि की। साथ ही शव का पोस्टमॉर्टम कर दिया गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया कि मादा पेंथर की उम्र 2 साल है। उसकी मौत लगातार भूखे रहने से हुई। भूख और खून में थक्के जमने के कारण हुए हार्ट फेल हो गया। वन विभाग कार्यालय में उसकी अंत्येष्टी की गई।
पेथर जिंदाबाद : भूख से जान दे दी मगर नहीं लगने दिया आदमखोर का दाग

Advertisements
