24 न्यूज अपडेट उदयपुर। शहर में आयड़ स्थित गंगू कुण्ड में दो युवकों के डूबने की शॉकिंग न्यूज सामने आई। मौके पर बडी संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गई है और सिविल डिफेंस टीम पिछले डेढ़ घंटे से एक युवक का शव निकालने के बाद दूसरे को उसके दो घंटे बाद निकाला। भूपालपुरा थानाधिकारी मुकेश सोनी भी मौके पर ही मौजूद रहे। एक युवक के शव को निकालने के बाद मोर्चरी में भिजवाया गया था। इस बीच महापौर व कई पार्षद भी मौके पर पहुंचे। बताया गया कि शुक्रवार दोपहर 2 बजे पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना मिली कि पुलिस थाना भूपालपुरा थाना क्षेत्र में गंगू कुंड में दो व्यक्ति डूब गए हैं। सूचना पर उप नियंत्रक नागरिक सुरक्षा विभाग उदयपुर गितेशश्री मालवीय के आदेश पर रेस्क्यू टीम का गठन कर मौके के लिए रवाना किया गया। टीम ने मौके पर पहुंच कर एक शव को बाहर निकाल लिया है व दूसरे का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रखा। टीम में वाहन चालक पुष्कर चौधरी गोताखोर दीपक वडेरा नरेश चौधरी प्रवीण सिंह राठौड़ विष्णु राठौर सोहनलाल कपिल सालवी आदि मौजूद रहे। मरने वालों में अलवर का कपिल शर्मा भी शामिल है जो एसबीआई बैंक में क्रेडिट का काम करता था। वह पत्नी के साथ उदयपुर मे ंरह रहा था व यहां से नौकरी छोड़ कर अलवर में सैटल होने वाला था। आज उसने सामान पैक कर लिया। इससे पहले नौकरी भी छोड़ दी थी। जाने से पहले सोचा कि गंगू कुण्ड में नहाकर आया जाए। उसे नहीं पता था कि उसका यह फैसला काल बनकर सामने आएगा। दूसरा मृतक गणेश टेक्सी ड्राइवर है व पायड़ा में रहता है। वह भी यहां पर नहाने आया था। दोनों कैसे डूब गए, इसकी जांच की जा रही है। वैसे गंगू कुण्ड पर इन दिनों गर्मी बढने के बाद से नहाने वालों का मेला लगा रहता है। हर उम्र के बच्चे यहां पर नहाने तैरने आते हैं। वे भी आते हैं जो स्वीमिंग पूल में तैराकी सीखना अफॉर्ड नहीं कर सकते। ऐसे में प्रशासन और नगर निगम को समय रहते यहां पर गोताखोर नियुक्त करने थे जो घोर लारवाही है। अच्छा होता कि घटना के बाद पहुंचे महापौर पहले ही यहां पर पहुंच कर नहाने वालों की सुरक्षा का बंदोबस्त कर देते। इस बीच यह बात भी सामने आई है कि रेस्क्यू को आई टीम के पास केवल बांस और बल्लियां ही थी। कुछ स्थानीय युवक भी बार-बार डुबकी लगा कर शव की तलाशते रहे जिससे दूसरा शव निकालने में दो और घंटे लग गए। गोताखोर त्वरित गति से नहीं पहुंचे इससे साफ पोल खुल गई कि सिविल डिफेंस की तैयारी के नाम पर बातें सिर्फ हवा-हवाई हो रही है। क्विक रेस्पोंस होने से कई बार किसी की जान बच सकती है यही टीम का प्राइम मोटो होना चाहिए। टीम के पास गोताखारी के उपकरण भी होने जरूरी हैं क्योंकि झीलों के शहर में कहीं भी कभी भी इस तरह का रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना पड़ सकता है। आखिर कब तक बांस-बल्लियों के सहारे रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए जाते रहेंगे। जिला कलेक्टर और विधायक जितना ध्यान आयड़ में लगा रहे हैं उतना भी ध्यान इस ओर दे दे ंतो समस्या दूर हो सकती है। आगे ऐसे हादसे नहीं हो इसके लिए गर्मी के पूरे सीजन तक यहां पर गोताखारों की तैनाती जरूरी हो गई है।
Discover more from 24 News Update
Subscribe to get the latest posts sent to your email.