24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर और राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इस कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन के तहत सार्वजनिक पुस्तकालय कर्मियों की कार्य क्षमता निर्माण के उद्देश्य से किया जा रहा है। इसमें राज्य के सार्वजनिक पुस्तकालयों के पुस्तकालयाध्यक्ष प्रतिभागी के रूप में शामिल हैं। देश की अनेक प्रमुख संस्थाओं से पुस्तकालय क्षेत्र के प्रतिष्ठित विद्वान इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करेंगे। कार्यशाला में पुस्तकालय प्रबंधन सॉफ्टवेयर, नवाचार, नवीन विषयों, प्रौद्योगिकी और सूचना स्रोतों के प्रभावी उपयोग पर जानकारी दी जाएगी।
कार्यशाला के समन्वयक डॉ. पी. एस. राजपूत ने अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए अपने उद्बोधन में बताया कि इस पांच दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने की। मुख्य अतिथि राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन के डायरेक्टर जनरल प्रो. ए. पी. सिंह, विशिष्ट अतिथि यूपीएसएसएससी के चेयरमैन आईपीएस डॉ. एस. एन. साबत और अतिथि कला महाविद्यालय के सह-अधिष्ठाता प्रो. दिग्विजय भटनागर रहे।
डॉ. राजपूत ने आगे कहा कि यह कार्यशाला राजस्थान के सार्वजनिक पुस्तकालयों के मुख्य उद्देश्य को साकार करने और भारत के विकसित राष्ट्र बनने के मिशन में सहायक साबित होगी। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने इस आयोजन पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में इस तरह के राष्ट्रीय आयोजन कराने से छात्रों को प्रत्यक्ष लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय ज्ञान वर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और सभी की जिम्मेदारी है कि राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन के तहत सार्वजनिक पुस्तकालयों के संवर्धन के लिए आयोजित इन कार्यशालाओं की पहुंच अधिक से अधिक लोगों तक हो। उन्होंने नवीन प्रौद्योगिकी और नवाचार को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
डायरेक्टर जनरल प्रो. ए. पी. सिंह ने राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन की सार्वजनिक पुस्तकालय विकास में भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह क्षमता निर्माण कार्यक्रम पूरे देश में मिशन मोड में आयोजित किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि सार्वजनिक पुस्तकालयों को देश के हर गांव तक पहुंचाया जाए, ताकि प्रतिभाशाली व्यक्तियों और नागरिकों को इसका लाभ मिल सके। यूपीएसएसएससी के चेयरमैन आईपीएस डॉ. एस. एन. साबत ने अपने उद्बोधन में कहा कि देश में सार्वजनिक पुस्तकालयों के सुदृढ़ विकास से प्रत्येक नागरिक लाभान्वित हो सकता है, जो भारतीय ज्ञान परंपरा को सुदृढ़ करेगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला से सार्वजनिक पुस्तकालयों में नवीन प्रौद्योगिकी और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। आज का समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नवाचारों के साथ आगे बढ़ने का है, जो सार्वजनिक पुस्तकालयों को अभूतपूर्व ऊंचाई पर ले जा सकता है।
सभी अतिथियों का पारंपरिक पगड़ी और मोमेंटो देकर स्वागत किया गया। मंच संचालन डॉ. नेहा पालीवाल ने किया एवं आभार प्रो. दिग्विजय भटनागर ने प्रकट किया । इस आयोजन में लगभग 80 प्रतिभागियों ने भाग लिया, विश्वविद्यालय के प्रो. शूरवीर सिंह भाणावत, प्रो. एम एस ढाका, प्रो. हनुमान प्रसाद, प्रो. मीरा माथुर, प्रो. बी एल वर्मा, डॉ राजाराम भाट, डॉ बालुदान बारहठ, अनुज यादव, जितेंद्र मेघवाल, श्रवण कुमार इत्यादि उपस्थित थे।
पुस्तकें ज्ञान का ख़ज़ाना, जो हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति को संजोए हुए हैं- प्रोफेसर ए. पी. सिंह

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