Site icon 24 News Update

पुडुचेरी से चली मशाल यात्रा पहुंची एमपीयूएटी, कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के शानदार 50 वर्ष पूर्ण, अनुसंधान और विस्तार प्रणाली के मध्य मजबूत कड़ी है केवीकेः डाॅ. कर्नाटक

Advertisements

24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के शानदार 50 वर्ष संपूर्ण होने के उपलक्ष्य में पुडुचेरी से आंरभ हुई मशाल यात्रा (गोल्डन जुबली-टाॅर्च) प्रदेश के विभिन्न केवीके से होती हुई गुरूवार को केवीके, वल्लभनगर पंहुची। इस मौके पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर (राजुवास) के कुलपति डाॅ. एस. के. गर्ग और वल्लभनगर केन्द्र के अधिष्ठाता डाॅ. आर. के. नागदा ने मशाल महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्ववि़द्यालय को सौंपी। एमपीयूएटी की ओर से निदेशक प्रसार शिक्षा निदेशालय डाॅ. आर.ए. कौशिक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा अध्यक्ष, उदयपुर द्वितीय डाॅ. आर.एल. सोनी ने यह मशाल ग्रहण की।
एमपीयूएटी के कुलपति डाॅ. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि देश में पहला केवीके 21 मार्च 1974 को पुडुचेरी (पांडिचेरी) में स्थापित किया गया और विगत पांच दशक में उपादेयता और आवश्यकता के आधार पर आज देश में केवीके की संख्या बढ़कर 731 हो गई है। केवीके का यह मजबूत नेटवर्क खेती की चुनौतियों के लिए अनुकूल है।
उन्होंने बताया कि केवीके योजना सौ फीसदी भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित है। केवीके कृषि विश्वविद्यालय, आईसीएआर, संस्थानों, संबंधित सरकारी विभागों और कृषि में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को स्वीकृत किए जाते हैं। केवीके का उद्देश्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन, शोधन और प्रदर्शनों के माध्यम से कृषि व सबद्ध उद्यमों में स्थान विशिष्ट प्रौद्योगिकी माॅड्यूल का मूल्यांकन करना है।डाॅ. कर्नाटक ने कहा कि किसानों को फसल, पशुधन, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी तक पहुंच की आवश्यकता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) पूरे भारत में जिला स्तर पर स्थापित केवीके के माध्यम से इसका समाधान करता है। केवीके अनुसंधान और विस्तार प्रणाली के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करते है। खेत पर परीक्षण, अग्रिम पंक्ति परीक्षण व किसानों एवं विस्तारकर्मियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करते है। केवीके ने फसलोत्पादन, पशुपाल, कृषि वानिकों और संबद्ध क्षेत्रों में नवीनतम प्रगति के साथ लाखों किसानों को सशक्त बनाया है। केवीके की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक कृषि उद्यमिता और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने की रही है।प्रसार शिक्षा निदेशक डाॅ. आर.ए. कौशिक ने बताया कि जम्मू कश्मीर, पंजाब प्रांतों के केवीके से होती हुई यह मशाल यात्रा राजस्थान के बीकानेर पंहुची। अब एमपीयूएटी के अधीन बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, प्रथम व द्धितीय, डूंगरपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ, प्रतापगढ़़ सहित समस्त आठ केवीके पर यह मशाल यात्रा जाएगी जहां से कोटा कृषि विश्वविद्यालय को सौंपी जाएगी। 21 मार्च 2024 को पुडुचेरी से आंरभ हुई यह मशाल यात्रा संपूर्ण भारत में भ्रमण करते हुए 21 मार्च 2025 को पुनः पुडुचेरी पहुंचेगी जहां इस यात्रा का विराट समापन समारोह होगा।

Exit mobile version