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पार्षदों को बाय-बाय करने का आया वक्त, कमान संभालेंगे प्रशासक, 49 नगर निकायों में तैयारी

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24 न्यूज़ अपडेट उदयपुर। राजस्थान के उदयपुर, कानोड, बांसवाडा, प्रतापगढ़, गढ़ी, चितौड़गढ़, निम्बाहेड़ा, रावतभाटा, राजसमंद, आमेट सहित 49 नगर निकायों का कार्यकाल इसी महीने पूरा होने जा रहा है। लेकिन अब तक यहां पर चुनावों को लेकर निर्वाचन आयोग की ओर से कोई तैयारी नहीं की गई है। इससे यह साफ होता जा रहा है कि यहां पर अब प्रशासक बिठाए जाएंगे। जनप्रतिनिधियों के साथ अधिकारियों में असमंजस की स्थिति है व काम धीमे हो गए हैं। प्रशासनिक मशीनरी सोच रही है कि प्रशासक होंगे तो उनके मातहत होकर मनमर्जी से काम करेंगे तो नेता सोच रहे हैं कि बचे खुचे समय में अपने काम करवा लें बाद में शायद मुश्किल हो जाए काम करवाना। अब चर्चा यही है कि सरकार जल्द ही वन स्टेट वन इलेक्शन की अपनी मंशापूर्ति के तहत प्रदेश के 49 नगर निकायों में प्रशासक की नियुक्ति कर सकती है। आपको बता दें कि अनुच्छेद 243 में नगर पालिकाओं का कार्यकाल 5 साल का प्रावधान है। राजस्थान में नगर पालिका अधिनियम बना हुआ है जिसकी धारा 7 में नगर पालिका का कार्यकाल 5 साल से ज्यादा नहीं होने का का प्रावधान है। यह तो तय है कि प्रदेश के जिन 49 शहरी नगरीय निकायों का कार्यकाल इसी महीने 26 नवंबर को पूरा हो रहा है वहां पर चुनाव नहीं हुए है। तो पूरे निकाय की कमान प्रशासक को सौंपी जा सकती है। नगरपालिका में यदि कार्यकाल के 5 साल की अवधि पूरी होने से पहले चुनाव नहीं कराए जाते है। तो बोर्ड खुद-ब-खुद भंग हो जाने का प्रावधान है। सरकार चुनाव होने तक प्रशासक की नियुक्ति करेगी। इसलिए एक या दो दिन में ही इस पर निर्णय आने की पूरी संभावना है। आपको बता दें कि इस मामले में सरकार के हाथ बंधे हैं वह खुद नहीं तरय करती कि चुनाव कब होंगे। चुनाव तो आयोग को ही करवाने हैं व तारीख भी वहीं से आ पाएगी उसकी तैयारियों के अनुसार। प्रदेशभर में जारी इस असमंजस की स्थिति को लेकर यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने चुनाव आयोग के फैसले के बाद ही कोई निर्णय लेने का हवाला दिया है। खर्रा ने कहा कि चुनाव घोषित करने का काम राज्य निर्वाचन आयोग का है। राज्य निर्वाचन आयोग इस दिशा में कोई कदम बढ़ाएगा। तो हम उसके मुताबिक कोई फैसला लेंगे। अगर राज्य निर्वाचन आयोग ने इस दिशा में कोई फैसला नहीं लिया। तो कार्यकाल बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे। आपको बता दें कि नियमों के तहत नगर निकायों का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जा सकता है। ऐसे में अगर 5 साल की समय अवधि के दौरान नगर निकायों के चुनाव संपन्न नहीं हुए तो सरकार को सभी नगर निकायों में जहां का कार्यकाल पूरा हो रहा है वहां जब तक नए बोर्ड का गठन नहीं हो सकेगां।
इन निकायों में पूरा हो रहा कार्यकाल
राजस्थान की बीकानेर, राजगढ़, श्रीगंगानगर, सूरतगढ़, हनुमानगढ़, ब्यावर, नसीराबाद, टोंक, डीडवाना, पुष्कर, चूरू, मकराना, अलवर, भिवाड़ी, थानागाजी, महुआ, सीकर, नीमकाथाना, खाटूश्यामजी, बाड़मेर नगरपरिषद, बलोतरा, सिरोही, माउंटआबू, पिण्डवाडा, शिवगंज, पाली, झुंझुनूं, बिसाऊ, पिलानी, फलौदी, जैसलमेर,सुमेरपुर, उदयपुर, कानोड, बांसवाडा, प्रतापगढ़, गढ़ी, चितौड़गढ़, निम्बाहेड़ा, रावतभाटा, राजसमंद, आमेट, भरतपुर, रूपवास, जालौर, भीनमाल, कैथून, सांगोद, छबड़ा, मांगरोल का कार्यकाल पूरा होने को है।
पंचायती में भी यही प्रयोग
नए साल जनवरी में जिले के 550 सरपंचों की कुर्सी खाली हो जाएगी। यानी कार्यकाल पूरा हो जाएगा। नियम के तहत जनवरी में चुनाव होने चाहिए, लेकिन सरकार का अभी कोई मूड नहीं है। यदि चुनाव लंबे खिंचे तो गांवों का विकास प्रभावित हो सकता है। लंबे समय तक प्रशासक बैठाना आसान नहीं है। हालांकि सरकार विधानसभा सत्र के दौरान सरपंचों का कार्यकाल बढ़ा सकती है। इस पर भी एक कमेटी मंथन कर रही है।

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