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पार्श्वनाथ प्रभु का च्यवन कल्याणक, जन्म कल्याणक व दीक्षा कल्याणक महोत्सव सम्पन्न

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24 News Update उदयपुर । जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में शुक्रवार को तपस्वीरत्न आचार्य भगवंत पद्मभूषणरत्न सुरिश्वर महाराज, साध्वी भगवंत कीर्तिरेखा महाराज आदि ठाणा की निश्रा में अंजनशलाक विधान का आयोजन हुआ।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ में सुबह 7 बजे पार्श्वनाथ प्रभु के उपर च्यवन कल्याणक, जन्म कल्याणक तथा संसारी जीवन, राज्य अवस्था व दीक्षा कल्याणक का संगीतमय विधान किया गया। साथ ही आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। रात्रि 3 बजे अंजनशलाका विधान सम्पन्न हुआ। नाहर ने बताया कि 19 अप्रैल शनिवार को प्रात: 8 बजे सविना स्थित पाश्र्वनाथ तीर्थ में प्रभु की प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न होगी।
इस अवसर पर आचार्य भगवंत पद्मभूषणरत्न सुरिश्वर महाराज ने कहा कि त्याग का राग ह्रदय में लेकर प्रभु अवतरित होते है। संसार कारागृह जानकार उसका त्याग करने परमात्मा वर्ष भ रतक वर्षीदान देते है। जगत के दु:ख एवं दरिद्रता मिटाने के लिए प्रभु ने संयम की राह ग्रहण की। नव लोकांतिक देवों क निवेदन से तथा अपना शासन स्थापना तीर्थ प्रवर्तन का अवसर जानकर प्रभु संसार से विरक्त बनकर के दीक्षा लेते है। साधना काल में ध्यान बल से भावनाओं से भावित होकर कर्मों का क्षय करते है। तत्पश्चात प्रभु ने सांधना का समय कर्मों का नाश करते केवलज्ञान उपार्जित किया। जिसे केवलज्ञान कल्याणक कहते है।  
दीक्षा कल्याणक महोत्सव के पश्चात श्री जैन श्वेताम्बर महासभा उदयपुर द्वारा नवकारसी का आयोजन किया गया। प्रभु आदिनाथ को भराना एवं विराजमान जुठमल-रेशमी देवी बाफना बालोतरा-जोधपुर द्वारा किया गया।
इस अवसर पर कुलदीप नाहर, सतीश कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर पामेचा, राजेश जावरिया, चन्द्र सिंह बोल्या, दिनेश भण्डारी, अशोक जैन, दिनेश बापना, कुलदीप मेहता, नरेन्द्र शाह, चिमनलाल गांधी, गोवर्धन सिंह बोल्या आदि मौजूद रहे।

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