24 न्यूज अपडेट. जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी कि निगेटिव पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट किसी नागरिक को पासपोर्ट लेने के कानूनी अधिकार से वंचित नहीं कर सकती। पासपोर्ट अथॉरिटी एडवर्स (नेगेटिव) पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट मानने के लिए बाध्य नहीं है। पासपोर्ट अथॉरिटी को हाईकोर्ट ने यह छूट दी है कि किसी मामले में उसे कानून के हिसाब से गलत लगे तो वह फैसला करने को स्वतंत्र है। जस्टिस अनूप ढंड की एकल पीठ ने जयपुर निवासी सावित्री शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए। आपको अदालत ने कहा कि सरकार व पासपोर्ट अथोरिटी याचिकाकर्ता के पासपोर्ट के नवीनीकरण (रिन्यूअल) के आवेदन को 8 सप्ताह में तय करें। अदालत ने पासपोर्ट विभाग को छूट दी है कि यदि मामले में प्रतिकूल मिले तो विधि अनुसार कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट राकेश चंदेल ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का पासपोर्ट मई, 2022 तक वैध था। पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए अप्लाई किया, लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन में संदेह होने पर उसका आवेदन अस्वीकार कर दिया। हाईकोर्ट में चुनौती दी व पासपोर्ट नवीनीकरण का आग्रह किया गया। विभाग की ओर से वकील मनजीत कौर ने जवाब दिया व कहा कि क्षेत्रीय पासपोर्ट ऑफिस, नई दिल्ली ने याचिकाकर्ता की पुलिस सत्यापन जांच करवाई थी। इसमें उसकी राष्ट्रीयता संदेहपूर्ण और नेपाली आई। इस रिपोर्ट पर ही उसके पासपोर्ट का नवीनीकरण नहीं किया।याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके दादा नेपाल में रहते थे, लेकिन उसका जन्म भारत में हुआ है। शादी 2017 में यहीं हुई है। उसके दो बच्चे हैं और वह भारत की नागरिक है। इसलिए केवल पुलिस की प्रतिकूल जांच रिपोर्ट पर उसके पासपोर्ट के नवीनीकरण से मना नहीं कर सकते। सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस जांच रिपोर्ट के प्रतिकूल होने मात्र से पासपोर्ट से वंचित नहीं करने का आदेश दिया।
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