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नकली डॉक्टर ने किया हास्य पद्धति द्वारा दर्शको का इलाज़ : एक दिवसिय नाट्य संध्या में मंचित हुआ नाटक ‘‘मॉक डॉक्टर”

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उदयपुर। नाट्यांश सोसाइटी ऑफ ड्रामैटिक एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स और थिएटरवूड कम्पनी के संयुक्त तत्वाधान में रविवार 30 जुन 2024 एक दिवसिय नाट्य संध्या का आयोजन किया गया। इस नाट्य संध्या में प्रसिद्ध फ्रांसीसी लेखक व नाटककार मोलिअर द्वारा लिखित नाटक -‘‘ले मेडेकिन मालग्रे लुई’’ का हिन्दी रूपांतरण मॉक डॉक्टर का मंचन किया गया। यह नाटक झोलाछाप डॉक्टरों और उनके इलाज करने की पद्धती व प्रक्रिया पर व्यंग्य के साथ-साथ चिंता भी व्यक्त करता है। हास्य और मनोरंजन से भरपुर इस नाटक का हिन्दी रूपांतरण अमित श्रीमाली द्वारा किया गया है और निर्देशन मोहम्मद रिज़वान मंसुरी ने किया है।
नाटक के बारें में (कथासार)- नाटक मॉक डॉक्टर एक हास्य नाटक है। जिसमें जमिला नाम की एक औरत अपने पति कुरैशी के आलसीपन, निकम्मेपन और शराब पिने की आदत से परेशान है। जमिला का पति पेशे से हज्जाम का काम करता है, पर अपने आलस के चलते कभी भी काम पर नही जाता है। इस कारण से उसके घर की माली हालत अच्छी नही होती। जमिला के द्वारा इस अपनी माली हालत के खराब होने की शिकायत करने पर वो अपने मर्द होने की धौंस देता है और मार पिटाई करता है।
अपने पति की इन हरकतों से परेशान पत्नी जमीला उसे सबक सिखाने का फैसला करती है। एक दिन उसे पता चलता है कि शहर के नामी रईस की बेटी की बीमारी है जिसके ईलाज के लिये कुछ लोग डॉक्टर या वैद्य की तलाश कर रहे है। जमीला उन लोगों से अपने पति को पिटवाने के लिये डाक्टर बताकर रईस की बेटी के शर्तिया इलाज करने का दावा करती है। जमिला को उम्मिद थी कि एसा करने से उसके पति को काफि मार पडेगी, लेकिन इधर जमिला की सोच के उलट, कुरैशी अपनी चतुराई से खुद को डाक्टर साबित कर रईस के दिल और घर में जगह बना लेता है।
नाटक में आगे पता लगता है कि रईस की बेटी को कोई बिमारी नही है वो तो बीमारी का बहाना कर रही है। दरअसल वो लडकी एक लडक़े से प्रेम करती है, लेकिन घरवाले उसकी शादी कहीं और करना चाहते हैं। इस सब पर कुरैशी दोनों प्रेमियों को मिलवा देता है। अंत में लडकी के घरवाले शादी को मंजुरी दे देते है और कुरैशी को माफ कर देते है।
नाटक में मंच पर फर्जी डॉ. कुरैशी की भुमिका में अगस्त्य हार्दिक नागदा व डॉ. की पत्नी जमीला की भुमिका में उर्वशी कंवरानी ने अपने संवाद अदायगी और अभिनय कौशल से सब का मन मोह लिया। साथ ही लल्लन व गुल्लन की भुमिका में क्रमश: – यश जैन व दिव्यांश डाबी ने भी तालियाँ बटोरी। प्रेमी लडक़ा – हर्ष दुबे, चौधरी – उमंग सोनी, पम्मी – कृष्णा शर्मा, कमली – रिया नागदेव, मंगेतर – अरशद कुरैशी, बॉडीगार्ड व समाजसेवी – प्रमोद रैगर, बॉडीगार्ड – धर्मेश प्रताप ने भी अपने अभिनय कौशल का प्रमाण देते हुए दर्शको का काफी मनोरंजन किया। वहीं मंच पार्श्व में संगीत संयोजन में मुरली अहीर एवं हर्षिता शर्मा, प्रकाश संयोजक में अशफ़ाक नूर खान पठान, प्रकाश सहायक में पार्थ सिंह चुंडावत, मंच निर्माण में यश शाकद्वीपीय, मंच सहायक में साह्नविका मेहता, राघव गुर्जरगौड़, तनज़ीम और रूपसज्जा और वस्त्र विन्यास में रेखा सिसोदिया ने भी इस नाटक की प्रस्तुति को सफल बनाने में योगदान दिया। नाटक के मुल लेखक मोलीयर है। नाटक का भावानुवाद व सरलिकरण अमित श्रीमाली द्वारा किया गया साथ ही नाटक का निर्देशन मोहम्मद रिज़वान का रहा।
पोस्टर का विमोचन
नाटक की समाप्ती के बाद कलाकारों ने अपने आगामी नाटक – ‘‘आषाढ़ का एक दिन’’ के पोस्टर का विमोचन वरिष्ठ रंगकर्मी श्री भानु भारती जी और श्री विलास जानवे के हाथो द्वारा किया किया। यह नाटक मोहन राकेश द्वारा लिखित है व वरिष्ठ रंगकर्मी श्री भानु भारती के मार्ग दर्शन में अमित श्रीमाली द्वारा निर्देशित होगा।

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