
24 न्यूज़ अपडेट उदयपुर. ब्रह्माकुमारीज उदयपुर सेवा केंद्र की बहनो ने देबारी मे 89वें त्रिमूर्ति शिव महोत्सव का विधिवत ध्वजारोहण कर शुभारम्भ किया | अपने उद्बोधन मे बी के रीता बहन ने कहा कि भारत में 12 ज्योतिर्लिंग प्रसिद्ध हैं व हर शहर गांव की गली-मोहल्ले में शिवालय बने हुए हैं जहाँ नित्य पूजा अर्चना होती है | इससे स्पष्ट होता है कि वह परमपिता परमात्मा कभी इस सृष्टि पर आएं हैं और विश्व कल्याण का कार्य किया है, तभी तो हम सब उन्हें याद करते हैं। परमात्मा का स्वरूप ज्योतिर्बिंदु है। श्रीमद्भ भगवत गीता से लेकर महाभारत, शिव पुराण, रामायण, यजुर्वेद, मनुस्मृति सभी में कहीं न कहीं परमात्मा के अवतरण की बात कही गई है। किसी भी धर्म ग्रंथ में परमात्मा के जन्म लेने की बात नहीं है। हर जगह प्रकट होने, अवतरण पर परकाया प्रवेश की बात को ही इंगित किया गया है। क्योंकि परमात्मा का अपना कोई शरीर नहीं होता है। वह परकाया प्रवेश कर नई सतयुगी सृष्टि की स्थापना का दिव्य कार्य कराते हैं। यहां तक कि शिव पुराण में स्पष्ट लिखा है कि मैं ब्रह्मा के ललाट से प्रकट होऊंगा। शिव जन्म-मरण से न्यारे हैं। ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के भी रचयिता त्रिमूर्ति हैं, जिन्हें हम परमात्मा शिव कहते हैं। आज शुरू हुआ यह शिव महोत्सव महा शिव रात्रि तक चलेगा |
राजयोगिनी बी के रीमा बहन ने कहा कि नवसृजन का कार्य एक प्रक्रिया के तहत ईश्वरीय संविधान के अनुसार होता है। जैसे एक विद्यार्थी विद्या अध्ययन की शुरुआत पहली कक्षा से करता है और फिर वह साल दर साल आगे बढ़ते हुए एक दिन विशेष योग्यता प्राप्त कर न्यायाधीश, आईएएस, सीए, पायलट, शिक्षक, वैज्ञानिक और पत्रकार बनता है। इसी तरह निराकार परमात्मा ईश्वरीय संविधान के तहत शिक्षा देकर स्वर्णिम दुनिया, नवयुग के स्थापना की आधारशिला रखते हैं। स्वयं परमात्मा ही नर से श्रीनारायण और नारी से श्रीलक्ष्मी बनने के लिए राजयोग ध्यान सिखाते हैं।
राजयोग को चार मुख्य विषय (ज्ञान, योग, सेवा और धारणा) में बांटा गया है।
मीडिया समन्वयक प्रोफेसर विमल शर्मा ने बताया कि पूरे विश्व के ब्रह्माकुमारी केन्द्रो मे आज लाखों लोग राजयोग ध्यान पूरी लगन, मेहनत, त्याग और तपस्या से सीख अपने व्यक्तित्व मे दिव्यगुण ला रहे है| देबारी के आर्ची गैलेक्सी मे आयोजित इस उत्सव मे निकटवर्ती शिव भक्तों व ब्रह्मा कुमारी भाई बहनो ने हर्षोल्लास से भाग लिया तथा महा शिवरात्रि तक नियमित पूजा अर्चना करने व राजयोग अभ्यास के साथ शिव बाबा के दिव्य वचन (मुरली ) सुन अंधकार को मिटाकर ज्ञान की ज्योत जगाने का संकल्प लिया |
सादर प्रकाशनार्थ प्रेषित
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