24 न्यूज़ अपडेट सलूंबर । एक ओर जहां राज्य व केंद्र सरकार की ओर से गांव-गांव, ढाणी-ढाणी में सड़क निर्माण के दावे किए जाते हैं। वहीं, आदिवासी बहुल इलाकों के हालात आज भी बदतर है। बात कर रहे हैं सलूम्बर जिले के सराड़ा पंचायत समिति की कलात ग्राम पंचायत की। जहां आजादी के 77 वर्ष बाद भी पक्की सड़क नहीं है। हाल ये है कि कोई बीमार हो या गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाना हो तो झोली ही सहारा है। सड़क के अभाव में अस्पताल पहुंचाने में समय अधिक लगता है और मरीज की मौत तक हो जाती है। लोगों को 10-15 किमी. पैदल चलने के बाद सड़क नसीब होती है। उसके बाद बीमार या गर्भवती को चावंड, झाडोल, देवपुरा, जावर माइंस या चणावदा के अस्पताल पहुंचाया जाता है। मोबाइल नेटवर्क नहीं होने से यहां के निवासियों का संपर्क अन्य गांवों से नहीं हो पाता। ग्राम पंचायत कलात का पूरा क्षेत्र पहाड़ीनुमा है। कुछ दिनों पूर्व उदयपुर सांसद ने करीब छह किमी. पैदल चलकर पूरे क्षेत्र का दौरा किया। जहां कहीं भी सड़क नजर नहीं आई। पंचायत में करीब 2700 लोग निवास करते हैं। जिनमें कलात फला, घोड़ा फला, राता खेत फला, ऐडा धावड़ा, हल्दुदरा, पुनावली, गोटा पानी, बामनिया, बुज फला, सुखा मुडा, तीखा फला, राणा कुडी घाटी, मोरिया भाटडा, खाखादरा फला सहित कई फलों में लोग रहते हैं।
झोली की एम्बुलेंस में गंभीर रोगी और गर्भवती के जीवन की डोर

Advertisements
