24 न्यूज अपडेट, जयपुर। इस बार के लोकसभा चुनाव भी खास रहे। कइयों के दावे फेल हो गए तो कईयों की रणनीतियां पस्त होती नजर आई। भाजपा को इस बार 14 सीटों पर ही संतुष्टि करनी पड़ी है। भाजपा में बूथ लेवल पर बनाए गए अध्यक्ष और पन्ना प्रमुख कमाल नहीं कर सके। कुछ बूथों पर खाता भी नहीं खुला तो सवाल उठा कि क्या उन्होंने भी भाजपा को वोट दिया के नहीं। निर्वाचन आयोग के आंकड़े यह सच्चाई बता रहे हैं। करीब आधा दर्जन लोकसभा सीटों के एक दर्जन से ज्यादा बूथ ऐसे हैं, जहां भाजपा प्रत्याशियों को शून्य वोट मिले हैं, यानी उस बूथ पर पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई तो फिर क्या वहां पर पन्ना प्रमुख भी खुद को वोट डालने नहीं गए या किसी और को वोट डाल कर आ गए। भाजपा का दावा था कि 52 हजार बूथ स्तर पर पन्ना प्रमुख बनाए हैं, जो पार्टी को मजबूत करेंगे. अब सवाल है कि क्या पन्ना प्रमुख ने भी पार्टी को वोट नहीं दिया ? भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़े बताते हैं कि जयपुर, सीकर, अलवर, बाड़मेर और जोधपुर ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जिनके कई बूथ पर भाजपा प्रत्याशी को शून्य वोट मिले हैं. जयपुर शहर लोकसभा क्षेत्र की हवामहल विधानसभा के बूथ नंबर 129 । पर भाजपा को शून्य वोट मिला, जबकि इसी विधानसभा की बूथ संख्या 136 । पर भाजपा को मात्र 1 वोट मिला. इसी तरह से सीकर लोकसभा क्षेत्र की दातारामगढ़ विधानसभा के बूथ नंबर 32 पर भी भाजपा को शून्य वोट मिला, जबकि इसी विधानसभा के बूथ सांख्य 114 पर भाजपा को मात्र 2 वोट मिले. अलवर शहर विधानसभा के बूथ नंबर 80 पर भाजपा को मात्र 1 वोट मिला, जोधपुर लोकसभा क्षेत्र की पोकरण विधानसभा के बूथ नंबर 2 पर भाजपा को 1 वोट मिला. भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान बाड़मेर लोकसभा सीट पर हुआ. यहां जैसलमेर विधानसभा के बूथ संख्या 45, 126 181 पर शून्य वोट मिला. इसी तरह से शिव विधानसभा सीट के बूथ संख्या 165, 173, 180 पर भाजपा को शून्य वोट मिला. वहीं, बाड़मेर विधानसभा सीट के बूथ संख्या 42 पर भाजपा को शून्य वोट मिला. दरअसल ये तो शून्य और 1 वोट के आंकड़े हैं, लेकिन 2 से लेकर 5 वोट के आंकड़े देखें तो उनकी संख्या और भी ज्यादा है. जिन बूथ पर शून्य और एक वोट मिला है या 5 से भी कम वोट मिले, वहां क्या पार्टी की ओर से चुनाव से पहले बनाए गए पन्ना प्रमुख, बूथ अध्यक्ष और बूथ समिति के सदस्यों ने भी वोट पार्टी के पक्ष में नहीं दिया? जबकि भाजपा बूथ स्तर पर पन्ना प्रमुख बनाने के बड़े-बड़े दावे कर पार्टी की ग्रास रूट पर मजबूती की बात कर रही थी। चुनाव से पहले पार्टी का दावा था कि 52 हजार बूथ एक अध्यक्ष और 16 से 18 के बीच में पन्ना प्रमुख बनाये गए हैं. इतना ही नहीं हर बूथ पर 11 सदस्यों की समिति का दावा भी किया गया था. हर बूथ पर 30-35 तो रजिस्टर्ड सदस्य हैं जो कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहे हैं।
चुनाव ने खोली पन्ना प्रमुखों की पोल, एक दर्जन बूथों पर खाता भी नहीं खोल पाई भाजपा,

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