—- विश्लेषण :सुशील जैन——
24 न्यूज अपडेट उदयपुर। झीलों की नगरी उदयपुर में लोकसभा चुनावों के बाद बदले हुए मंजर में आज से भाजपा में पावर शिफ्टिंग ड्रिल की शुरूआत हो गई है। जिस कुर्सी पर बैठ कर कद्दावर नेता गुलाबंचद कटारिया बहुत ही बारीकी से पार्टी की आंतरिक रणनीतियांं की बुनाई करते थे और जन सुनवाई करते थे आज उस कुर्सी पर दो जनजाति नेता विराजित हो गए। एक नव निर्वाचित सांसद मन्नालाल रावत और दूसरे राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया। पहले यह उदयपुर का पावर सेंटर हुआ करता था, अब यह संभाग का पावर सेंटर होगा। याने के निर्णायक शक्ति सत्ताहस्तांतरण पूरी तरह से जनजाति वर्ग के प्रतिनिधियों के हाथों में हो रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रक्रिया सतत व धीमी रहने वाली है ताकि सबको साथ लेकर हाथ पकड़ कर बदलाव का साक्षी बना जा सके। मगर इसके असर दूरगामी और स्थायी होंगे। दोंनों नेता बहुत ही मंझे हुए और अनुभवी है इसलिए अब तक जो लोग हॉट सीट के इर्द-गिर्द रह कर अपनी राजनीति चमका रहे थे, उनमें से कईयों को नए ठौर-ठिकाने संभालने पड़ सकते हैं तो कई नए चेहरों की एंट्री हो सकती है। यह पूरी कवायाद बांसवाड़ा व कुशलगढ़ सीट गंवाने, उदयपुर सीट पर बाप पार्टी के 2 लाख 17 हजार वोट और आने वाले निकाय चुनावों में बाप पार्टी के साथ संभावित कड़े मुकाबले को देखते हुए की जा रही है। इसके अलावा कांग्रेस सविधान सहित अन्य मुद्दों के नेरेटिव के साथ लगातार आगे बढ़ रही है, उसे यहीं पर चॉक करने के लिए की जा रही है। ऐसे में अब कमान इन दोनों नेताओं के हाथ में रहेगी व नीचे सत्ता व उसके दस्तूरी रूप् में प्राकृतिक रूप से मिलने वाले परिलाभों का भी उसी रूप में बंटवारा होगा। जनजाति वर्ग लीड करेगा व उसके अंब्रेला तले हर कास्ट की इक्वेशन के हिसाब से राजनीतिक ताना-बाना बुना जाएगा। आज पार्टी कार्यालय में हॉट सीट पर विराजे गरासिया और रावत ने बातों-बातों में यह संकेत भी दे दिया कि अब केंद्रीय नेतृत्व या भाजपा सेंट्रल लीडरशिप-आलाकमान यह चाहती है कि जनजाति क्षेत्रों में विपक्षी दलों की ओर से किए जा रहे धुंआंधार प्रचार या उनके शब्दों में प्रपोगेंडा का माकूल जवाब दिया जाए। गरासिया ने कहा कि बैठेंगे तो चर्चा व चिंतन होगा, बैठेंगे नही ंतो कैसे पता चलेगा। चुनाव के समय में 400 सीटों की बात क्यों की गई? इसलिए की गई क्योंकि विपक्ष ने तूफान बना लिया, जहां-जहां एसटी-एससी के लोग थे, उनको गुमराह कर लिया। आने वाले पांच साल में हम सेंसिटिव विषयों पर चिंता व चिंतन करेंगे यह विशेष आग्रह है। गरासिया ने यह भी कहा कि भाजपा के ऑफिस में हमारी अनुपस्थिति में भी ज्ञापन आदि लिए जाएंगे,जो ज्ञापन दे रहा है उसका फोन नंबर आदि का इंद्राज होगा व पूरा ऑफिस मेन पावर के साथ मेंटेने होगा। अनुपस्थिति में जो भी हमारी टीम का नेता होगा वो सुनवाई करेगा। कार्यकर्ताओं के परिवाद सुनना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। सांसद रावत ने कहा कि चुन्नीलाल गरासियाजी और मैं रोज 9 से साढ़े 10 बजे तक पार्टी कार्यालय में सुनवाई करेंगे, जब भी हम यहां होंगे कार्यकर्ताओं की सुनवाई करेंगे।
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