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उदयपुर-बांसवाड़ा, डूंगरपुर के स्कूलों में पांचवीं तक स्थानीय भाषा में होगी पढ़ाई

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24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। जयपुर, उदयपुर, पाली, राजसमंद, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ में अब सरकारी स्कूलों में स्थानीय भाषा में पढ़ाई करवाई जाएगी। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शिक्षा विभाग ने पिछले साल सिरोही और डूंगरपुर के कुछ स्कूलों में इसकी शुरुआत की थी। अब सात और जिलों को शामिल किया गया है। अब ढूंढाड़ी, मेवाड़ी, वागड़ी सहित अन्य भाषाओं में पढ़ाई करवाई जा सकेगी। पहली से पांचवतीं तक के बच्चों को स्थानीय भाषा में शिक्षण करवाया जाएगा। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि स्थानीय भाषा के उपयोग और उसके माध्यम से बच्चों को शिक्षित करना जरूरी है। बच्चे जब परिवेश में कोई भाषा सीखते हैं, तो उनकी समझ जल्दी विकसित होती है। पाठ्यक्रम और शुरुआती साल में शिक्षण कार्य स्थानीय भाषा में होने से बच्चा जल्दी सीखता है। सत्र 2026 से ये कार्यक्रम प्रदेश के 25 जिलों में संचालित किया जाना प्रस्तावित है। जयपुर में ढूंढाड़ी, उदयपुर, चित्तौड़गढ़-प्रतापगढ़ में मेवाड़ी, डूंगरपुर-बांसवाड़ा में वागड़ी, राजसमंद में मेवाड़ी, बागड़ी, सिरोही में मारवाड़ी, पाली में राजस्थानी गोडवाड़ी भाषा बोली जाती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में इसका प्रावधान किया गया है। दिलावर ने पत्रकारों से जयपुर में बात करते हुए बहगा कि जब बच्चा स्कूल में जाना शुरू करता है तो उसे अलग वातावरण मिलता है, अगर वहां बच्चे को स्थानीय भाषा में पढ़ाया जाएगा, तो वह सहज महसूस करेगा और आसानी से सीखेगा। क्योकि बच्चे बोलचाल की भाषा में जल्दी सीखते है। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कहा गया है कि प्रारंभिक शिक्षा बच्चों की लोकल भाषा में की जाए। बच्चा जितना छोटा होता है। उतना ही ज्यादा सीखना है। जैसे अभिमन्यु अपनी मां की पेट में ही सीख गया था। उन्होंने कहा कि आजकल तो वैज्ञानिक भी कहते हैं कि जब महिला गर्भवती हो तब वह अच्छी कहानी सुनें। ताकि उनके गर्भ में पलने वाले बच्चों को अच्छी जानकारी हासिल हो सके। उन्हें अच्छे वातावरण में रहने के लिए कहा जाता है। मंदिर जाकर सत्संग सुनने के लिए कहा जाता है। ताकि उनके बच्चे में अच्छे संस्कार आ सके।

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